वाशिंगटन। कोरोना महामारी(Corona Pandemic) के बीच बच्चों में कोरोना संक्रमण(Corona Infection) के साथ दुर्लभ मिस्टीरियस इन्फलैमेट्री सिंड्रोम (MIS) सूजन के मामले सामने आ रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि बच्चों में संक्रमण के लक्षण तक नहीं दिख रहे(Symptoms not even visible) हैं और उनकी स्थिति अचानक गंभीर हो रही है।
अमेरिकी स्वास्थ्य संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन(सीडीसी) (American Health Society Center for Disease Control and Prevention) ने 20 साल और इससे कम उम्र के 1,733 बच्चों पर शोध किया गया है। इसमें एक फीसदी एशियाई थे। इसके बाद ये नतीजा सामने आया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 75 फीसदी मरीजों को संक्रमण के बाद कोई लक्षण नहीं दिखा, लेकिन दो से पांच सप्ताह बाद बच्चों को गंभीर हालत में उन्हें एमआईएस के बाद भर्ती कराया था। एमआईएस की तकलीफ के कारण बच्चों के हृदय समेत कई अंगों को नुकसान होता है। जामा पीडियाट्रिक्स जनरल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार ऐसे अधिकतर बच्चे या तो बिना लक्षण वाले हैं या हल्के लक्षण हैं। बॉस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिजीज एक्सपर्ट डॉ. जेनिफर ब्लूमेंथल का कहना है कि बच्चों में संक्रमण के लक्षण नहीं है। इसको लेकर सतर्क रहना होगा। गंभीर एमआईएस की तकलीफ तब होती है जब शरीर में उच्च स्तर की एंटीबॉडीज बन जाती हैं। ऐसा क्यों हो रहा है ये किसी को भी नहीं पता। सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार संक्रमण के साथ सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों की संख्या 86 फीसदी थी जिनकी उम्र 15 साल से कम थी। वैज्ञानिकों ने ये भी बताया है कि जिन बच्चों की उम्र पांच साल से कम थी, उन्हें हृदय संबंधी तकलीफ का खतरा कम था और उन्हें आईसीयू की जरूरत भी कम पड़ी। दस साल या इससे अधिक उम्र वाले बच्चों को बीपी और हृदय की मांसपेशी में सूजन की तकलीफ देखी गई है जो घातक हो सकती है।