क्रॉनिक पल्मनरी ऑब्सट्रक्टिव डिज़ीज श्वसन-तंत्र से जुड़ी ऐसी गंभीर समस्या है, जिसके लक्षण अस्थमा से काफी हद तक मिलते-जुलते होते हैं। यह एक ऐसी शारीरिक अवस्था है, जिसमें सांस की नली में सूजन होने की वजह से व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसकी वजह से फेफड़ों की कार्य-क्षमता घटने लगती है और शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और कार्बनडाइऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाता। इसकी वजह से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं या उनमें छेद हो जाता है, यह स्थिति मरीज़ के लिए जानलेवा साबित होती है।
कारण
प्रदूषण, स्मोकिंग, सीलन भरी जगहों पर रहना, जन्मजात रूप से फेफड़ों का कमजोर होना, आनुवंशिकता, लगातार किसी ऐसी फैक्ट्री में काम करना जहां से हानिकारक धुआं निकलता हो आदि।
लक्षण
लगातार खांसी के साथ बलगम आना, छाती में बार-बार संक्रमण, हमेशा थकान महसूस होना, सांस फूलना, गले में खराश, सीने में अकसर जकड़न, सांस लेने में परेशानी आदि। बदलते मौसम में इसके लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है।
जांच एवं उपचार
छाती के एक्स-रे, खून की जांच तथा पीएफटी (पल्मनरी फंक्शन टेस्ट) द्वारा फेफड़ों की स्थिति का पता लगाकर डॉक्टर मरीज का उपचार करते हैं। अगर उसके ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य से कम पाई जाती है, तो उसे ऑक्सीजन थेरेपी की सलाह दी जाती है। सीपीओडी के कारण फेफड़ों को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन सही उपचार से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
अगर शुरू से ध्यान न दिया तो पल्मोनरी इडेमा नामक बीमारी की आशंका बढ़ जाती है, ऐसी स्थिति में सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अलावा आजकल लंग्स कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए सांस संबंधी कोई भी असामान्य लक्षण नज़र आए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। उपचार और दवाओं के सेवन के मामले में डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन जरूरी है।
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