भोपाल। कोरोना, स्वाइन फ्लू, डेंगू, जीका वायरस जैसी संक्रामक बीमारियों की जांच में अब देरी नहीं होगी। वजह, सभी जिला अस्पतालों में बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस का पता लगाने के लिए लैब तैयार की जा रही हैं। यह काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। पहले चरण में इस वर्ष के अंत तक 17 जिला अस्पतालों में लैब शुरू करने की तैयारी है। इनमें छह को पिछले वर्ष और बाकी को इस वर्ष चिन्हित किया गया है। वर्ष 2024-25 तक प्रदेश के 35 जिला अस्पतालों में पब्लिक हेल्थ लैबोरेट्री बनाई जाएंगी। एक लैब बनाने में सवा करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह लैब तैयार होने के बाद जिला अस्पतालों में पहली से चल रही लैब को भी इसमें मिलाकर एकीकृत लैब बनाई जाएगी। अभी कई जिला अस्पतालों में पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी, बायोकेमेस्ट्री आदि लैब अलग-अलग स्थान पर हैं। इसका रोगियों को यह नुकसान होता है कि उन्हें अलग-अलग जांच के लिए कई बार सैंपल देना होता है। एकीकृत लैब होने पर यह दिक्कत दूर हो जाएगी। इन लैब में जांच की गुणवत्ता बेहतर रखने के लिए न्यूनतम क्षेत्र, कर्मचारियों की संख्या, मशीनों के लिए मापदंड तय किए गए हैं। कम से कम चार हजार वर्गफीट क्षेत्र की जगह रहेगी।
पहले चरण में यहां बनेंगी लैब
भोपाल, रायसेन, सिंगरौली, बालाघाट, विदिशा, बैतूल, उज्जैन, छतरपुर, खंडवा, दमोह, बड़वानी, शिवपुरी, गुना, झाबुआ, जबलपुर, सिवनी और टीकमगढ़।
बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों का भी पता चलेेगा
इन लैब में माइक्रोबायोलाजी की जांचें भी अच्छी गुणवत्ता के साथ हो सकेंगी। कल्चर टेस्ट हो सकेंगे, जिसमें यह पता चलेगा कि रोगी के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया के संक्रमण में कौन सी दवा बेहतर ढंग से प्रभावी होगी और कौन सही नहीं होगी। इससे यह पता करना भी आसान हो जाएगा कि जीवीणुओं पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर किस तरह से कम हो रहा है।
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