ब्रुसेल्स (Brussels)। गुरुवार को स्वीडन (Sweden), नाटो का 32वां सदस्य देश (32nd member country of NATO) बन गया। इसके साथ ही करीब दो दशकों (two decades) तक गुट निरपेक्ष रहा स्वीडन नाटो के गुट में शामिल हो गया है। स्वीडन के पीएम उल्फ क्रिस्टीरसन (Sweden’s PM Ulf Kristersson) ने देश के नाटो में शामिल होने को स्वतंत्रता की जीत बताया। उन्होंने कहा कि ‘स्वीडन ने लोकतांत्रिक तरीके से, निष्पक्ष, संप्रभु और एकमत होकर नाटो में शामिल होने का फैसला किया है।’ एक कार्यक्रम के दौरान स्वीडिश पीएम ने ये बात कही और इस दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी मौजूद रहे।
‘स्वीडन को भी अब सुरक्षा की गारंटी मिलेगी’
स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर, नाटो के सचिव जनरल जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने बयान जारी कर कहा कि ‘यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्वीडन को अब नाटो में एक अधिकारपूर्वक जगह मिलेगी और उसकी बात का भी नाटो की नीतियों और फैसलों में ध्यान रखा जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ‘200 वर्षों से ज्यादा समय तक गुट निरपेक्ष रहने के बाद स्वीडन को भी अब अनुच्छेद 5 के तहत सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।’ गुरुवार को स्वीडन सरकार की एक विशेष बैठक हुई और इस बैठक के बाद स्वीडन के नाटो में शामिल होने का एलान किया गया। स्वीडन के नाटो का सदस्य बनने के बाद अब ब्रुसेल्स में नाटो मुख्यालय के बाहर इसका झंडा भी दिखना शुरू हो जाएगा।
रूस की बढ़ेगी परेशानी
रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस का पड़ोसी देश स्वीडन और फिनलैंड नाटो का सदस्य बनने की कोशिश कर रहे थे। फिनलैंड बीते साल नाटो का सदस्य बन गया और अब स्वीडन की भी नाटो में एंट्री हो गई है। इसका मतलब ये है कि रूस को छोड़कर बाल्टिक सागर से घिरे सारे देश अब नाटो का हिस्सा बन गए हैं। यह रूस के लिए झटका है। रूस ने भी स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर बयान जारी कर कहा है कि वह भी इसके जवाब में कदम उठाएगा और अगर स्वीडन में नाटो के सैनिकों की तैनाती होती है तो रूस भी इसके खिलाफ कदम उठाएगा।
रूस ने जिस तरह से यूक्रेन पर हमला किया, उसके बाद से ही फिनलैंड और स्वीडन रूस के खिलाफ अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। हालांकि स्वीडन को नाटो में शामिल करने के खिलाफ तुर्किए ने मोर्चा खोला हुआ था। तुर्किए स्वीडन में कथित तौर पर शरण लिए हुए कुर्दिश उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा था। साथ ही स्वीडन में इस्लाम के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों से भी नाराज था। हालांकि अमेरिका ने तुर्किए को मनाया और आखिरकार स्वीडन की नाटो में एंट्री हो गई। स्वीडन की नाटो में एंट्री को समर्थन देने के लिए तुर्किए को अमेरिका से 23 अरब डॉलर की फाइटर जेट की डील हासिल हुई।
क्या है नाटो
नॉर्थ अटलांटिक संधि संगठन ( North Atlantic Treaty Organization) का गठन 1949 में हुआ था, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस समेत 12 देश थे। अब नाटो के सदस्यों की संख्या 32 हो गई है। नाटो का उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। नाटो के किसी भी सदस्य पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। नाटो की कोई सेना नहीं है, लेकिन सभी सदस्य देश एकजुट होकर संकट में कार्रवाई कर सकते हैं। नाटो देश संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं। अब नाटो में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और तुर्किए, अल्बानिया, बुल्गारिया, हंगरी, पोलैंड, द चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया, रोमानिया, लिथुआनिया, लातविया, हंगरी और एस्टोनिया के साथ अब फिनलैंड और स्वीडन भी सदस्य देश हैं।
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