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स्वामी अर्पितानंद की अनूठी पहल, अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं को बांट रहे हेलमेट

July 29, 2023

श्रीनगर (Srinagar)। अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) पर एक महिला श्रद्धालु (female devotees) की सिर पर पत्थर लगने से मौत हुई, तो नैमिषारण्य धाम सीतापुर (Naimisharanya Dham Sitapur) के स्वामी पंडित अर्पितानंद (Swami Pandit Arpitananda) ने हेलमेट का लंगर ही लगा दिया। वह बालटाल से यात्रा पर जाने वाले भक्तों को मुफ्त हेलमेट बांट (Free helmets distributed to devotees) रहे हैं। वर्ष 2017 में हुए हादसे के बाद उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया। उनके पास 10 हजार हेलमेट का स्टॉक है।

घाटी में हिमालय की पहाड़ियों से होकर गुजरने वाली अमरनाथ यात्रा में हर बार कुछ अलग देखने को मिलता है। इस बार जो देखने को मिल रहा है वह अलग और अनूठा प्रयास है, जिससे यात्रियों पर इस कठिन यात्रा के दौरान मंडराने वाले खतरे को टाला जा सके। स्वामी पं. अर्पितानंद यात्रा पर जाने वाले भोले के भक्तों को मुफ्त हेलमेट बांट रहे हैं। उन्होंने हेलमेट का लंगर लगाया है। यह सोच उनके सामने यात्रा के दौरान घटी एक अप्रिय घटना के बाद बदली, जिसमें एक महिला की जान चली गई थी।


स्वामी अर्पितानंद मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के बालटल आधार शिविर से शुरू होने वाली यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को हेलमेट मुहैया करवा रहे हैं। लखनऊ (यूपी) के नैमिषारण्य धाम के स्वामी पंडित अर्पितानंद ने कहा, वर्ष 2017 में जब वह यात्रा कर रहे थे तो रेल पथरी के पास पहाड़ से काफी पत्थर आ रहे थे। एक महिला को सिर पर पत्थर लगा, जिससे उसकी मौत हो गई। इस हादसे से दिल पसीज गया और यात्रियों को सुरक्षा मुहैया करवाने की ठानी। श्री माता वैष्णो देवी से प्रेरणा लेते हुए हेलमेट का कॉन्सेप्ट शुरू किया। फैसला लिया कि जो भी यात्री अमरनाथ यात्रा के लिए यहां से रवाना होगा, विशेष तौर पर घोड़े या पालकी से उसे सुरक्षा के लिए हेलमेट दिया जाए।

स्वामी ने कहा, हमारे पास करीब 10 हजार हेलमेट का स्टॉक है। बालटाल से यात्रियों का कोटा 10 हजार प्रतिदिन का है। इनमें घोड़े और पालकी पर जाने वाले केवल 50 प्रतिशत ही होते हैं। हम उन्हें हेलमेट प्रदान करते हैं और वापसी पर यात्री हेलमेट लौटा जाते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में मौसम खराब था, जिसके चलते सभी यात्रियों को हेलमेट मुहैया करवा रहे थे। अगर एक भी यात्री की हम जान बचा पाते हैं तो ऐसा महसूस होता है कि हमें सब कुछ मिल गया। इस वर्ष अब तक सभी सुरक्षित लौट रहे हैं।

स्वामी अर्पितानंद ने कहा कि पिछले वर्ष जब प्रकृति ने कहर बरपाया था तो काफी यात्री जब लौटे, उनमें से एक का हेलमेट टूटा हुआ था, जिसने बताया कि अगर हेलमेट न होता तो शायद जिंदा नहीं बच पाता। भविष्य में भी यात्रियों के लिए ऐसी सुविधाएं बढ़ाते रहेंगे। हम यात्रियों से अपील करते हैं कि सभी दिशानिर्देशों का पालन करें और सुरक्षित यात्रा के लिए हेलमेट का उपयोग करें।

प्रशासन और सुरक्षाबलों के अधिकारियों के साथ अमरनाथ यात्री भी स्वामी अर्पितानंद के इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं। दिल्ली से आई प्रियंका कुमारी ने कहा कि वह पांचवीं बार यात्रा पर आई हैं। इससे पहले वह पहलगाम से जाती थीं और इस बार बालटाल से गईं। पहली बार ऐसा प्रयास देखकर काफी अच्छा लगा दिल्ली से आए राजेश ने कहा, स्वामीजी ने जो हेलमेट का लंगर लगाया है वह इनकी अच्छी सोच को दर्शाता है।

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