नई दिल्ली. क्या ईरान (iran) के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (president ibrahim raisi) के हेलीकॉप्टर (helicopter) को इजरायल (israel) की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) ने मार गिराया? ये सवाल इसलिए क्योंकि ईरान और इज़रायल के रिश्ते इन दिनों सबसे खराब दौर से गुज़र रहे हैं. इजरायल पर हुए हमास (hamas) के हमले को लेकर दोनों देश पहले ही आमने-सामने हैं. और अब जिन हालात में रईसी का हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है, वो सवालों के घेरे में आ गया है. तो आइए समझते हैं कि इस क्रैश को लेकर मोसाद पर शक करने की वो वजहें क्या-क्या है? और अगर ये सच है तो इसके मायने क्या हो सकते हैं?
रविवार शाम 7.00 बजे वर्जेकान, ईरान
ईरान के प्रेसिडेंट रईसी समेत कई वीवीआईपीज को लेकर उड़ान भर रहा ईरान का हेलीकॉप्टर ईरानी शहर तबरेज के करीब 50 किलोमीटर दूर वर्जेकान शहर के नजदीक पहाड़ी इलाकों में गुम हो जाता है. शुरुआती खबर उनके हेलीकॉप्टर की हार्ड लैंडिंग की सूरत में आती है. बताया जाता है कि खराब मौसम की वजह से रईसी के हेलीकॉप्टर की पहाड़ी इलाके में हार्ड लैडिंग हुई है. लेकिन प्रेसिडेंट और उनके हेलीकॉप्टर को ढूंढने की कोशिशें जारी हैं. लेकिन धीरे-धीरे उनके सलामती की उम्मीदें कमज़ोर पड़ने लगती हैं.
16 घंटों की मशक्कत और खौफनाक तस्वीर
और फिर करीब 16 घंटों के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद ईरानी और टर्किश सर्विलांस टीमों को ऐसी तस्वीर नजर आती हैं, जो बेहद भयावह है. ईरान और तुर्किये की न्यूज एजेंसियां खबर देती हैं कि ड्रोन फुटेज में ईरानी प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर का मतलबा दिखाई दे रहा है और मलबे और उससे उठते धुएं को देख कर उसमें किसी साइन ऑफ लाइफ के यानी किसी के जिंदा बचाने की उम्मीद नहीं के बराबर है. पहली बार तुर्किए के सर्विलांस ड्रोन ने ही हीट सेंसर से इस मलबे का पता लगाया.
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 73 टीम
ये हादसा अज़रबैजान ईरान सीमा पर मौजूद अरासबरान के जंगलों में हुआ, जिसे नुकीली पहाड़ी चोटियों के लिए जाना जाता है. और इन दिनों इस इलाके में मौसम बेहद ठंडा और धुंध से भरा है. यानी विजिब्लिटी की घनघोर कमी है. खतरनाक पहाड़ी इलाके और मौके की नजाकत को देखते हुए हार्ड लैंडिंग की खबर आने के साथ ही ईरान ने अपने 73 अलग-अलग टीमों को मौका-ए-वारदात पर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए रवाना कर दिया.
रेड क्रिसेंट ने दी क्रैश में मारे गए लोगों की खबर
उधर, ईरान के दोस्त रूस ने पहाड़ी इलाकों में सर्च ऑपरेशन के एक्सपर्ट माने जाने वाले 50 लोगों की एक रेस्क्यू टीम को मौका-ए-वारदात के लिए रवाना किया. अलग-अलग डिटेक्शन डिवाइस और डिटेक्टर डॉग्स के साथ इन टीमों ने घंटों की मशक्कत के बाद आखिर मौका-ए-वारदात पर पहुंचने में कामयाबी हासिल कर ली और इसी के साथ मलबे से लाशों को निकालने का सिलसिला शुरू हो गया. मानवाधिकार के लिए काम करने वाली ईरानी संस्था रेड क्रिसेंट ने हादसे के बारे में जानकारी दी और कन्फर्म किया इस हेलीकॉप्टर क्रैश में उसमें सवार सारे के सारे नौ लोग मारे गए.
हादसा या साजिश?
लेकिन ये तो रही ईरानी प्रेसिडेंट के हेलीकॉप्टर क्रैश और उसके रेस्क्यू ऑपरेशन की कहानी. आगे की कहानी ये है कि इस हादसे को सिर्फ के एक हादसा नहीं बल्कि शक की निगाह से भी देखा जाने लगा है. क्योंकि ईरान के इज़रायल के साथ इन दिनों रिश्ते बेहद खराब हैं. ऐसे में इस वारदात के पीछे कोई साज़िश हो या ना हो, सोशल मीडिया से लेकर अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर लोग प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी की मौत के लेकर इज़रायली खुफिया एजेंसी को शक भरी निगाहों से देखने लगे हैं. सवाल ये है कि क्या मोसाद ने ही ईरानी प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर क्रैश करवा दिया?
शक की वजह नंबर-1- इज़रायल-ईरान के तल्ख़ रिश्ते
अब माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर मौजूद कई पोस्ट्स को देखने पर नई बात सामने आई. इनमें रईसी के इस हेलीकॉप्टर क्रैश को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं. दावा किया जा रहा है कि प्रेसिडेंट के हेलीकॉप्टर को स्पेस लेज़र तकनीक के सहारे ज़मींदोज़ कर दिया गया. कहने की जरूरत नहीं है कि इस हादसे ने मध्य-पूर्व के देशों में एक बार फिर तनातनी का माहौल पैदा कर दिया है. असल में ईरान फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का समर्थक रहा है और सिर्फ समर्थक ही नहीं रहा, बल्कि इज़रायल पर हमले के लिए उसने हमेशा ही हमास को हर तरह से मदद पहुंचाई है.
ईरान-इजरायल के बीच 36 का आंकड़ा
और तो और पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास की ओर से इजरायल पर किए गए हमले में भी ईरान का हाथ होने की बात कही गई थी, जिसके बाद इजरायल और ईरान के बीच तनातनी भी काफी ज्यादा हो गई. और दोनों ही देश कुछ दिनों के लिए बिल्कुल आमने-सामने आ गए थे. ईरान सिर्फ हमास ही नहीं बल्कि लेबनान के आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह समेत और भी कई ऐसे संगठनों को खाद-पानी देता रहा है. जिसके चलते उसका इजरायल के साथ 36 का आंकड़ा रहा है. ऐसे में इस हादसे के पीछे बहुत से लोगों को इजरायल का हाथ नजर आने लगा है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ऐसे खतरनाक और खुफिया ऑपरेशन के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है.
शक की वजह नंबर-2- इज़रायल विरोधियों को ईरान की शह
आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरुल्लाह के बेटे हादी नसरुल्लाह ने तो अलग ही ऐलान कर दिया है. अभी हेलीकॉप्टर क्रैश को लेकर ठीक ढंग से तफ्तीश की शुरुआत भी नहीं हुई है, लेकिन हादी नसरुल्लाह ने कह दिया है कि अगर रईसी की मौत के पीछे इजरायल का हाथ सामने आया, तो वो दुनिया का नक्शा ही बदल देगा.
शक की वजह नंबर-3- अज़रबैजान के करीब हादसा
यहां तक कि अब हादसे वाली जगह यानी अरासबरान के जंगलों में फैले कोहरे को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. कुछ लोकल लोगों ने सवाल किया है कि ये मौसम वहां पर कुदरती तौर पर था या फिर हादसे के लिए जानबूझ कर ऐसा मौसम बनाया गया? कहा जा रहा है कि ईरान और मिडिल ईस्ट के एक बड़े हिस्से से 19 मई का पूरा दिन ही रिमूव कर दिया गया है, ताकि प्रेसिडेंट की वापसी वाले रूट पर पैदा हुए कोहरे की वजहों को समझना और उन्हें डिटेक्ट कर पाना मुमकिन ना हो. हेलीकॉप्टर क्रैश को लेकर सवाल इसलिए भी गहरा गया है क्योंकि हादसे वाली जगह अज़रबैजान के करीब है. और इत्तेफाक से अज़रबैजान के इजरायल के साथ अच्छे रिश्ते हैं. खास बात ये भी है कि एक शिया मुल्क होने के बावजूद अज़रबैजान और ईरान के रिश्तों में उतनी गर्माहट नहीं है, जितनी ईरान की अपने दूसरे पड़ोसी देशों से है.
शक की वजह नंबर-4- ईरान को टारगेट करता रहा है इज़रायल
हालांकि इस हेलीकॉप्टर क्रैश को लेकर एक्सपर्ट्स का नजरिया दूसरा है. ज्यादातर विशेषज्ञों का ये मानना है कि इस हादसे के पीछे इजरायल का हाथ होने की आशंका नहीं के बराबर है. क्योंकि ऐसा कुछ करने का मतलब इजरायल का सीधे ईरान के खिलाफ ऐलान के जंग करना होगा और इजरायल भी ऐसा नहीं चाहेगा. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इजरायल ईरान में मिलिट्री और न्यूक्लियर साइट्स को टारगेट पर लेने की कोशिश करता रहा है, लेकिन हाई प्रोफाइल लोगों, राजनीतिक शख्सियतों को वो सीधा निशाना बनाने से बचता है.
शक की वजह नंबर-5- तीन में से प्रेसिडेंट का हेलीकॉप्टर ही क्यों?
कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ दो और हेलीकॉप्टर भी अज़रबैजान की तरफ गए थे. सवाल ये है कि बाकी के दो हेलीकॉप्टर उसी रूट से सही सलामत कैसे लौट आए और आखिर क्योंकि प्रेसिडेंट का हेलीकॉ्प्टर ही हादसे का शिकार हो गया?
शक की वजह नंबर-6- इज़रायल की अप्रैल वाली एयरस्ट्राइक
इजरायल और ईरान के बीच रिश्ते तो खैर खराब चल ही रहे हैं. आपको याद होगा कि अप्रैल महीने के शुरुआती दिनों में सीरिया की राजधानी दमिश्क में इजरायल की ओर से किए गए एक हवाई हमले में ईरान के ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रेजा समेत एक और अफसर की मौत हो गई थी. रेजा ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के सीनियर कमांडर थे, जिसके बाद दोनों देश एक तरह से आमने-सामने आ गए थे. किसी भी मौके पर हालात बद से बदतर हो सकते थे. लेकिन गनीमत रही कि तब मुश्किल टल गई. लेकिन अब जिस तरह से ये हादसा हुआ, तब ईरानी और उसके हिमायती लोग एक बार फिर से इजरायल पर शक करने लगे हैं.
शक की वजहों को अनदेखा नहीं किया जा सकता
जाहिर है ईरान के प्रेसिडेंट की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत को लेकर शक की इन वजहों को हवा में नहीं उड़ाया जा सकता है. हालांकि ये भी सही है कि बगैर किसी सबूत के इजरायल को घेरना भी नामुमकिन है. अब जब इतनी बड़ी वारदात हुई है तो मामले की जांच तो होगी ही. लेकिन फिलहाल इतना तो कहा ही जा सकता है कि इस वारदात के बाद मध्य पूर्व में तनातनी के हालात हैं. और जब तक जांच में किसी साज़िश की बात पूरी तरह से खारिज नहीं हो जाती है, तब तक कुछ दिनों तक तो ये हालात ऐसे ही बने रहेंगे.
हेलीकॉप्टर की हैं आखिरी तस्वीरें
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की चंद आखिरी तस्वीरें हैं. वही तस्वीरें जो उनके हेलीकॉप्टर क्रैश से चंद घंटे पहले उन्हीं के हेलीकॉप्टर में तब रिकॉर्ड की गई, जब वो ईरान-अज़रबैजान बॉर्डर की तरफ उड़ान भर रहे थे. उन तस्वीरों में रईसी अपने विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्ला हियन समेत ईरान के कुछ बड़े नेता और अफ़सरों के साथ नजर आ रहे हैं. उनका हेलीकॉप्टर अमेरिका में बनी बेहद सुरक्षित माना जाने वाला बेल-212 है. लेकिन इन तस्वीरों के कैमरे में क़ैद होने के चंद घंटों के अंदर ही कुछ ऐसा होता है कि फिर हेलीकॉप्टर के अंदर की तो छोड़िए, बाहर की तस्वीरें ढूंढना भी मुश्किल हो जाता है.
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