भोपाल। राज्य शासन ने हाल ही में मप्र बाल संरक्षण आयोग में आधा दर्जन सदस्यों की नियुक्ति की है। इनमें से कुछ सदस्यों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। नवनियुक्त सदस्य ओंकार सिंह ठाकुर के खिलाफ सागर कलेक्टर एवं सागर की महिला सशक्तिकरण अधिकारी आयुक्त महिला एवं बाल विकास विभाग से कार्रवाई की सिफारिश कर चुके हैं। जबकि एक सदस्य भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी हैं। जबकि एक सदस्य हिन्दी विवि में प्रोफेसर हैं।
आमतौर पर आयोगों में नियुक्तियों राजनीतिक सिफारिशों पर होती हैं, लेकिन बच्चों से जुड़े बाल अधिकार आयोग में आनन-फानन में जो नियुक्तियां की गई हैं, इनको लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग ने नियुक्ति से पहले सदस्यों के रिकॉर्ड की जांच नहीं कराई। यही वजह है कि एक सदस्य ओंकार सिंह के खिलाफ सागर के तत्कालीन कलेक्टर आलोक कुमार ने आयुक्त महिला एवं बाल विकास को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। विभाग के अफसरों ने सागर कलेक्टर के पत्र पर कार्रवाई न करते हुए मरकाम को बाल संरक्षण आयोग का सदस्य बनाने की प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेज दिया। बाल आयोग में नियुक्ति को लेकर संचालनायल बाल आयोग एवं प्रमुख सचिव बाल विकास विभाग ने कोई कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
झूठी शिकायत एवं आरटीआई के दुरुपयोग का मामला
सागर की महिला सशक्तिकरण अधिकारी अरुणा शर्मा ने सागर किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य ओंकार सिंह के खिलाफ शिकायत की थी। कलेक्टर ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश से जांच कराई। जांच में ओंकार दोषी पाए गए। इसके बाद कलेक्टर सागर ने आयुक्त महिला एवं बाल विकास विभाग को ओंकार सिंह के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 4 की उपधारा (1) के तहत कार्रवाई के लिए लिखा। हालांकि आयुक्त महिला एवं बाल विकास ने कलेक्टर की रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि कलेक्टर ने अद्र्ध शासकीय पत्र भी आयुक्त महिला एवं बाल विकास को लिखा था। कलेक्टर ने पत्र में बताया कि ओंकार सिंह सूचना का अधिकार अधिनियम का दुरुपयोग करते हैं। सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों पर दबाव बनाते हैं। इससे शासन की छवि खराब हो रही है। सागर के मकरोनिया थाने में भी ओंकार के खिलाफ शिकायत हुई थी, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ।
इन सदस्यों की नियुक्ति पर भी सवाल
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