नई दिल्ली । वनों में जलाशयों के संरक्षण (conservation of water bodies in forests) और जानवरों के लिए चारा की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के मकसद से देश के दस राज्यों में जल्दी ही वनों संबंधित सर्वे का काम शुरू किया जाएगा। इस संबंध में शुक्रवार को केन्द्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Climate Change) ने दस राज्यों के लिए तैयार विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जारी की। इन राज्यों में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा शामिल है।
इस मौके पर केन्द्रीय पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम वैपकोस को जो परियोजना तैयार करने को कहा था। इसमें लीडार तकनीक का उपयोग किया गया है, जो जंगलों के क्षेत्रों में पानी और चारे को बढ़ाने में मदद करेगा। इस परियोजना का मकसद मानव-पशु संघर्ष को कम करना, भूजल पुनर्भरण में मदद करना, स्थानीय समुदायों की मदद करना शामिल है। इसके साथ राज्य के वन विभागों को इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कैम्पा फंड का उपयोग सही तरीके से करने के लिए कहा। वैपकॉस ने लीडार तकनीक का उपयोग करके इन डीपीआर को तैयार किया है, जिसमें 3-डी का उपयोग विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जल संरक्षण संरचनाओं में एनीकट, गेबियन, की सिफारिश की गई है। इस योजन के तहत 26 राज्यों को शामिल किया गया है। इस योजना के लिए जुलाई 2020 में वैपकॉस को 18.38 करोड़ दिया गया है। बाकी 16 राज्यों की डीपीआर भी शीघ्र ही जारी की जाएगी।