लंदन। ब्रिटेन(Britain) में तीन-चौथाई यानी करीब 75% कर्मचारी (British Employees) नौकरी छोड़ने या बदलने पर विचार कर रहे(75% of UK workers want to leave) हैं. हालांकि, इसका सीधे तौर पर कोरोना (corona virus) से कोई लेनादेना नहीं है. दरअसल, इन लोगों का मानना है कि वे अत्यधिक काम के दबाव में हैं, वर्कप्लेस का वातावरण काम करने लायक नहीं(workplace environment not working) है, कंपनी देर तक काम कराती है और उनके लिए प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच बैलेंस बनाना मुश्किल हो गया है. एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण(nationwide survey) में यह बात सामने आई है.
सर्वेक्षण में शामिल 57% कमर्चारियों (Employees) ने माना कि उनका मनोबल बुरी तरह प्रभावित हुआ है और वो अपनी मौजूदा नौकरी (Job) में बने नहीं रह सकते. इसलिए वो जॉब छोड़ने या फिर नई नौकरी तलाशने पर विचार कर रहे हैं. सर्वेक्षण के दौरान 18 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि उनके बॉस को उनके मानसिक स्वास्थ्य की परवाह नहीं है. वहीं, कुछ ने कहा कि उनके वर्कप्लेस का एनवायरनमेंट अब काम करने लायक नहीं बचा है.
सर्वेक्षण करने वाली कंपनी ‘जूनो’ ने कहा कि इसका सीधे तौर पर कोरोना महामारी (Corona pandemic) से भले ही कोई संबंध न हो, लेकिन उसकी वजह से स्थिति खराब जरूर हुई है. करीब 40% व्यवसाय मालिकों ने बताया कि कर्मचारियों की कमी के कारण उनकी फर्म को कम क्षमता पर काम करना पड़ रहा है, क्योंकि कर्मचारी दूसरे विकल्प चुन रहे हैं. वहीं, 15 प्रतिशत फर्मों ने बिक्री में गिरावट दर्ज की है, क्योंकि सीमित स्टाफ की वजह से वो ग्राहकों की मांग पूरी नहीं कर पा रही हैं. सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि 30 फीसदी से ज्यादा वाइट-कॉलर बॉस खाली पदों को भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और 13% को लगता है कि उन्हें भी जल्द इस स्थिति से गुजरना होगा. कुल 23 कर्मचारियों ने माना कि उनके नौकरी छोड़ने के पीछे पैसा सबसे बड़ा कारण था. वहीं, 58 फीसदी ने इसके लिए कंपनी की वादाखिलाफी को वजह बताया. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी ने बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस, बेहतर वर्कप्लेस कल्चर और बच्चों के लिए हेल्थकेयर जैसे अन्य लाभ देने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया. इस राष्ट्रव्यापी सर्वे में कई लोग ऐसे भी मिले जो अपने बॉस के प्रयासों से संतुष्ट हैं. करीब 64 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि स्टाफ की कमी दूर करने के लिए उनके बॉस हर संभव प्रयास कर रहे हैं. जबकि 36 फीसदी का मानना है कि प्रबंधन की नीतियों के चलते आने वाले वक्त में हालात और खराब हो सकते हैं. ‘जूनो’ कंपनी के सीईओ Ally Fekaiki ने कहा, ‘सर्वे रिजल्ट से साफ है कि कर्मचारी अपने वर्क-लाइफ बैलेंस पर नियंत्रण चाहते हैं. वे यह भी चाहते हैं कि कंपनी उन पर ध्यान दे, उनके बारे में सोचे’.