प्रयागराज। मदरसों (madrasas) की दशा सुधारने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) ने सर्वे शुरू कराया है। सर्वे अभी चल रहा है। स्थिति यह है कि प्रदेश के 22 जिलों में अब तक हुए तकरीबन चार हजार मदरसों के सर्वे में ही 535 ऐसे मिले हैं, जो बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं। सर्वे के दौरान कई जिलों में इस तरह के मदरसे भी सामने आए, जिनके बारे में विभाग को कुछ पता ही नहीं है। इन मदरसों को कहां से और कितना फंड मिल रहा है, इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। सर्वे अभी पांच अक्तूबर तक चलेगा, ऐसे में अफसर पूरी जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की बात कह रहे हैं।
कई जगह नहीं दे रहे दस्तावेज कानपुर (Kanpur) में तमाम जगह जांच टीम को दस्तावेज ही नहीं दिए गए। वहीं, सहारनपुर में फंडिंग की स्पष्ट जानकारी न देने पर नौ मदरसों का फंड रोक दिया गया है। प्रयागराज (Prayagraj) में बीते 10 दिनों में हुए 70 मदरसों के सर्वे में 25 ऐसे मिले हैं, जो बगैर मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इन मदरसों में जब अल्पसंख्यक कल्याण विभाग (welfare department) की टीम गई तो बताया गया कि यहां दीनी तालीम दी जा रही है। फंडिंग के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। पीलीभीत के 220 में से आठ मदरसों की मान्यता से जुड़ी जांच वाराणसी ट्रस्ट (Probe Varanasi Trust) से चल रही थी। इसमें छह को क्लीन चिट मिल चुकी है।
2017 से मदरसा बोर्ड ने नहीं दी मान्यता
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड (madrasa board) ने वर्ष 2017 से मान्यता देना बंद कर दिया है। सर्वे के दौरान कई मदरसा संचालकों ने अफसरों को मान्यता न होने की यही वजह बताई। प्रबंधकों का कहना है कि सभी दस्तावेज देने के बाद भी मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वह दीनी तालीम देने के लिए मदरसा संचालित कर रहे हैं।
सर्वे का ब्योरा
शासन के निर्देश पर मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के दौरान ज्यादातर लोग स्थानीय स्तर पर फंड मिलने की बात कह रहे हैं। फंड कहां से और कितना मिला, इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं। -कृष्ण मुरारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, प्रयागराज
सर्वे होगा- 05 अक्तूबर तक
एडीएम डीएम को रिपोर्ट भेजेंगे- 15 अक्तूबर तक
डीएम शासन को रिपोर्ट भेजेंगे- 25 अक्तूबर
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