भोपाल। अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में जो मकान बने हैं, उनके कागजात पर बैंक ऋण स्वीकृत नहीं करती थीं। केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत अब ग्रामीण क्षेत्र की आबादी का जनवरी में ड्रोन से सर्वे होगा और रिहायशी इलाकों की पहचान की जाएगी। इससे जनता को फायदा यह होगा कि अभी तक गांव के मकानों की गारंटी न मानते हुए बैंक ऋण फायनेंस नहीं करती थीं। लेकिन जब यह रिहायशी इलाके राजस्व विभाग के अभिलेख में इंद्राज हो जाएंगे तो लोग आपदाकाल में बैंकों से अपने घरों पर ऋण ले सकेंगे। केंद्र सरकार ने मप्र के 20 जिलों को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया है। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई स्वामित्व योजना के तहत पहली बार ड्रोन से ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण किया जाएगा। जल्द ही सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ड्रोन सर्वे के लिए आएगी। हालांकि टीम के आने की तारीख जिला प्रशासन को पहले ही मिलेगी।
जनवरी में होगा सर्वे
जनवरी से होगा ड्रोन से ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण नक्शे पर आएगा किस मकान का कौन है मालिक है। तहसीलदारों द्वारा केस दर्ज करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ड्रोन सर्वे करेंगी। टीम एक दिन में 6 से 10 गांव तक का सर्वे करेगी। ड्रोन से सर्वे के बाद प्रारूप 1 नक्शा तहसीलदार और पटवारियों को सौंपा जाएगा। वे प्रारूप से अपने रिकॉर्ड का मिलान करेंगे। इसके बाद नक्शा मोबाइल एप सारा पर अपलोड होगा। पटवारियों द्वारा सर्वे कार्य किया जाएगा।
सर्वे में लगेगा 6 माह का समय
हर एक मकान व भूमि का रिकॉर्ड एप पर अपलोड होगा, जिसके बाद प्रारूप का प्रकाशन कर दावे-आपत्ति बुलाए जाएंगे। इसके बाद सब कुछ सही होने पर अधिकार अभिलेख जारी होंगे। इस पूरी प्रक्रिया में करीब छह माह का समय लग सकता है। सर्वे के दौरान विवाद की स्थितियों से बचने के लिए प्रशासन द्वारा पंचायत स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। इसमें सरपंच, सचिव, पटवारी और दो आम नागरिक शामिल रहेंगे। 25 सितंबर 2018 तक काबिज का ही कब्जा माना जाएगा। एक घर में दो रसोई मिली तो उन्हें दो परिवार माना जाएगा। इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्र की आबादी का सर्वेक्षण एवं अधिकार अभिलेख तैयार किया जाना है। सरकार को सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और रखरखाव आसान हो जाएगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved