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इंदौर-मनमाड़ के बीच दोहरी रेल लाइन के हिसाब से हो रहा सर्वे

April 10, 2023

  • पुल-पुलियाओं और रोड क्रॉसिंग के लिए पहली बार एमपी में फाइनल लोकेशन सर्वे की शुरुआत

इंदौर (Indore)। महत्वाकांक्षी इंदौर (महू)-मनमाड़ रेल लाइन के लिए प्रदेश में पहली बार फाइनल लोकेशन सर्वे (final location survey) का काम तेजी से हो रहा है। खास बात यह है कि यह सर्वे दोहरी लाइन बिछाने के हिसाब से हो रहा है। महाराष्ट्र के नरडाणा से एमपी के सेंधवा और सेंधवा से जुलवानिया के बीच सर्वे संबंधी गतिविधियां तेजी से जारी हैं। पुणे की एजेंसी को यह काम सौंपा गया है। फिलहाल सॉइट टेस्टिंग और यूटिलिटी शिफ्टिंग के लिए सर्वे किया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट आगामी दो महीनों में सेंट्रल रेलवे को सौंप दी जाएगी।

सर्वे करने वाली एजेंसी के प्रतिनिधियों ने बताया कि सर्वे में 15 मशीनें लगी हैं और एमपी व महाराष्ट्र को मिलाकर तीन अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं। पहले सेंट्रल रेलवे इस रेल मार्ग के लिए फिजिबिलिटी और स्टोन सर्वे कर चुका है। जहां-जहां से रेल लाइन गुजरने वाली है, वहां हर एक-सवा किलोमीटर पर पत्थर पहले ही लगाए जा चुके हैं। फिलहाल टीम नदी-नालों पर बनने वाले मेजर-माइनर ब्रिज, रेलवे क्रॉसिंग, रास्ते में आने वाले हाईवे आदि के आसपास मिट्टी और चट्टान का सर्वे कर रही है। बोरिंग मशीन की मदद से सैंपल लेकर उन्हें टेस्टिंग के लिए भेजा जा रहा है। सर्वे के आंकड़े रिपोर्ट में शामिल किए जाएंगे। इससे पता चल सकेगा कि कहां-कितनी सुरंगें, पुल-पुलिया और क्रॉसिंग आदि बनाना पड़ेंगे। इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन संघर्ष समिति के प्रमुख मनोज मराठे ने बताया कि जल्द ही सर्वे संबंधी गतिविधियां जुलवानिया से महू के बीच भी दिखाई देंगी।


जरूरी जमीनों का सर्वे करने में लगेगा एक साल
सर्वे करने वाली एजेंसी के सर्वेयर रूपचंद पाटिल ने अग्निबाण को बताया कि सॉइल और यूटिलिटी सर्वे के बाद रेल लाइन के लिए जरूरी जमीनों की जानकारी जुटाने के लिए अलग से सर्वे होगा। इसमें देखा जाएगा कि रेल मार्ग के लिए कहां-कितनी सरकारी और निजी जमीनें लेना पड़ेंगी। इस काम में लगभग एक साल का वक्त लगेगा। सर्वे दोहरी लाइन के हिसाब से हो रहा है। सर्वे के बाद एजेंसी जमीनें लेने में रेलवे की मदद करेगी। उसके बाद रेल लाइन का मैदानी काम शुरू होगा। इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन बिछने से न केवल मप्र और महाराष्ट्र के पिछड़े रेलविहीन क्षेत्रों का विकास होगा, बल्कि इंदौर से मुंबई और पुणे की दूरी भी घटेगी। यह योजना उत्तर से दक्षिण भारत को जोडऩे के लिए वैकल्पिक रेल मार्ग उपलब्ध कराएगी।

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