मुंबई। फिल्मी दुनिया में हीरो बनने की ख्वाहिश लेकर हर कोई आता है, लेकिन सभी हीरो नहीं बन पाते हैं। ऐसे में कोई हीरो के किरदार में फिट हो जाता है तो कोई विलेन बनकर पर्दे पर छा जाता है। ऐसे ही एक बॉलीवुड के विलेन हैं सुरेश ओबरॉय। यूं तो उन्होंने फिल्मों में कई तरह के रोल अदा किए, लेकिन उन्हें आज भी विलेन के तौर पर ही याद किया जाता है। उन्होंने कई फिल्मों में रोल प्ले कर अपने जमाने के कई स्टार्स को मात दी है। आज सुरेश अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं।
बॉलीवुड फिल्मों के दमदाम विलेन में से एक सुरेश ओबेरॉय का जन्म 17 दिसंबर, 1946 को अभी के बलूचिस्तान स्थित क्वेटा में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। 1947 में देश का विभाजन हुआ, जिसके बाद उनका परिवार भारत आ गया। भारत आने के बाद वो और उनका परिवार शुरुआत में पंजाब में रहा। फिर वो हैदराबाद शिफ्ट हो गए। एक्टिंग में दिलचस्पी होने के कारण सुरेश मायानगरी मुंबई आ गए। जब वह मुंबई आए थे, तब उनकी जेब में मात्र 400 रुपये थे। आज अपने अभिनय के दम पर वह करोड़ों की प्रॉपर्टी के मालिक हैं।
सुरेश ओबेरॉय ने 1977 में फिल्म ‘जीवन मुक्त’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने ‘काला पत्थर’ सुरक्षा, कर्तव्य जैसी फिल्में में सहायक अभिनेता के तौर पर काम किया। 1980 में आई ‘एक बार फिर’ में उन्हें मुख्य भूमिका में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उनके काम को तो सराहा गया, लेकिन उनकी ये फिल्म कमाल नहीं दिखा पाई। सुरेश ओबेरॉय को 1987 में ‘मिर्च मसाला’ फिल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग रोल के लिए राष्ट्रीय फिल्म का पुरस्कार मिला था। इन्हें फिल्म ‘घर एक मंदिर’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुका है।
सुरेश सिर्फ अच्छी आवाज के मालिक नहीं है बल्कि हिंदी, अंग्रेजी के अलावा पंजाबी, तेलुगू, तमिल भाषा भी बोलने में परफेक्ट हैं। बता दें कि सुरेश ओबेरॉय ने करियर शुरू होने से पहले ही शादी कर ली थी। उन्होंने 1 अगस्त 1974 को यशोधरा से मद्रास में शादी की थी। उनकी पत्नी पंजाबी परिवार से है। कपल के बेटे का नाम विवेक ओबेरॉय जो कि एक्टर है और बेटी का नाम मेघना ओबेरॉय हैं।
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