लिम्बोदी, बिचौलीहप्सी और कैलोदहाला में मुक्त कराई 15 एकड़ से अधिक जमीनों पर बन सकेंगे एक हजार फ्लैट – 5 साल तक रख-रखाव भी डेवलपर करेगा
इंदौर। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर धड़ाधड़ घोषणाएं हो रही है। एक तरफ अवैध कॉलोनियों को वैध करने और सरकारी जमीनों पर काबिज लोगों को पट्टे देने के साथ ही माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराई जमीनों पर सुराज कॉलोनी विकसित की जाएगी। इंदौर जैसे बड़े शहरों में जहां जमीनों की कीमत ज्यादा है, वहां कॉलोनी की बजाय बहुमंजिला इमारतें सुराज टॉवर के नाम से बनवाई जाएगी। निजी बिल्डरों-डवलपरों की सहायता से ये टॉवर बनेंगे और बदले में डवलपर को एक हिस्सा जमीन का दिया जाएगा, ताकि वह सुराज टॉवर की लागत निकाल सके।
इंदौर में प्रशासन ने विगत दो-ढाई साल में सैंकड़ों एकड़ जमीनें भूमाफियाओं के चंगुल से मुक्त कराई है। पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह ने ना सिर्फ इन जमीनों को मुक्त कराया, बल्कि माफिया पर नकेल भी कसी और गृह निर्माण की जमीनें जो अवैध रूप से बिकी थी उन्हें भी सरेंडर करवाया गया। वहीं वर्तमान कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी भी लगातार भूमाफियाओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई करवा रहे हैं। शासन ने जो सुराज नीति-2023 तैयार की है, उसे कल कैबिनेट से भी मंजूरी मिल गई। प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं आवास नीरज मंडलोई के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 के बाद अतिक्रमण और माफिया के चंगुल से मुक्त कराई सरकारी जमीनों पर आवासहीन और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आवास निर्माण करवाए जाएंगे। इन जमीनों का एक हिस्सा निजी डवलपरों को सौंपा जाएगा और बदले में शेष भूमि पर ईडब्ल्यूएस आवास हेतु सुराज टॉवर बनवाए जाएंगे। छोटे शहरों में अवश्य बहुमंजिला इमारतों की जगह 450 स्क्वेयर फीट तक के आवासीय पट्टे भी कालोनी विकसित कर गरीबों को दिए जा सकेंगे। वहीं इंदौर जैसे बड़े शहर में बहुमंजिला इमारतें सुराज टॉवर के तहत बनेगी, जिसका निर्माण समय सीमा और गुणवत्ता से कराया जाएगा और पेनल्टी का भी प्रावधान रहेगा। सुराज टॉवर निर्माण के पश्चात निजी डवलपर ही 5 साल तक उसका रख-रखाव भी करेगा। इसमें सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद रहेंगी और जरूरत पडऩे पर स्कूल और डिस्पेंसरी दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि इंदौर में लिम्बोदी, कैलोदहाला, और बिचौली हब्सी में कुछ समय पूर्व माफिया से मुक्त कराई थी, जहां पर ये टॉवर निर्मित कराए जा सकेंगे और एक हजार से अधिक फ्लेट निम्न और गरीब तबके के परिवारों को आबंटित होंगे।
लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग की पॉलिसी के तहत होगी प्रक्रिया
निजी बिल्डर और डवलपरों के माध्यम से ही सुराज टॉवर बनवाए जाएंगे, जिसके लिए निजी डवलपर को दिए जाने वाले भूखंड के आरक्षित मूल्य की गणना लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग की तैयार की गई पॉलिसी के तहत ही खुली निविदाओं के आधार पर किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि शासन ने एक अलग ही विभाग बना रखा है, जो सरकारी जमीनें की ऑनलाइन नीलामी की कर रहा है। जिसमें सभी विभागों की अनुपयोगी और वर्षों से खाली पड़ी जमीनें शामिल है। सुराज नीति के क्रियान्वयन में भी इस विभाग की मदद ली जाएगी।
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