नई दिल्ली (New Delhi)। उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने कहा कि कोई भी न्यायाधीश (judge) लंबित मामलों (pending cases) को लेकर साक्षात्कार (no interview) नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि ‘क्या न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल में स्कूल भर्ती घोटाले से संबंधित लंबित मामले में एक समाचार चैनल में इंटरव्यू दिया था?’ शीर्ष कोर्ट ने इस संबंध में सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) के रजिस्ट्रार जनरल से चार दिन में रिपोर्ट देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने इस मामले को लेकर एक समाचार चैनल को दिए गए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के कथित साक्षात्कार पर कड़ा संज्ञान लिया और कहा कि कोई न्यायाधीश लंबित मामलों के बारे में साक्षात्कार नहीं दे सकता। पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से न्यायाधीश से निर्देश लेने के बाद गुरुवार या उससे पहले एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई के लिए इसके एक दिन बाद की तारीख तय की।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका आदेश कथित घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा चल रही जांच के आड़े नहीं आएगा। केंद्रीय जांच एजेंसियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा यह कहे जाने पर कि इससे चल रही जांच में रुकावट आ सकती है, पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति को उस लंबित मामले के बारे में साक्षात्कार नहीं देना चाहिए जो एकल न्यायाधीश की पीठ के समक्ष है।
बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए साक्षात्कार के अनुवादित प्रतिलेखन का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर टीएमसी सांसद और पार्टी महासचिव के खिलाफ बात की थी।
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