नई दिल्ली। सरसों की संकर किस्म डीएमएच-11 के बीज उत्पादन और परीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खंडित फैसला दिया है। दरअसल सरकार ने साल 2022 में सरसों की संकर किस्म डीएमएच-11 के बीज उत्पादन और परीक्षण को अपनी मंजूरी दे दी थी। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने जीएम सरसों के उत्पादन की शुरुआत की सिफारिश करने के जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति के 18 अक्टूबर, 2022 के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की।
25 अक्टूबर, 2022 को सुनाए गए ‘ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड डीएमएच-11’ को पर्यावरण में छोड़े जाने संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। गौरतलब है कि जीईएसी आनुवंशिक रूप से संवर्धित फसलों के लिए देश की नियामक संस्था है। इस मामले में दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अलग-अलग राय दी। जिसके बाद अब यह मामला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के सामने रखा जाएगा। हालांकि, दोनों न्यायाधीशों ने आनुवंशिक रूप से संवर्धित फसलों पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने का केंद्र को एकमत से निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय जीएम फसलों पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने से पहले सभी हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ परामर्श करे और यदि इस प्रक्रिया को चार महीने में पूरा कर लिया जाए, तो बेहतर रहेगा। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने जीएम फसलों को पर्यावरण में छोड़े जाने के मुद्दे पर कहा कि 18 और 25 अक्टूबर, 2022 को दिए गए जीईएसी के निर्णय दोषपूर्ण थे, क्योंकि बैठक में स्वास्थ्य विभाग का कोई सदस्य नहीं था और कुल आठ सदस्य अनुपस्थित थे। दूसरी ओर, न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि जीईएसी के फैसले किसी भी तरह से मनमाने और गलत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जीएम सरसों फसल को सख्त सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए पर्यावरण में छोड़ा जाना चाहिए।
सरकार के फैसले के खिलाफ अरुणा रोड्रिग्स और गैर-सराकारी संगठन ‘जीन कैंपेन’ की अलग-अलग याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। याचिका में स्वतंत्र विशेषज्ञ निकाय द्वारा एक व्यापक, पारदर्शी और कठोर जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किए जाने तक पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संवर्धित फसलों का उत्पादन शुरू करने की मांग की गई है।
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