नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी (Pegasus spy case) मामले पर केंद्र सरकार (central government) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने साफ किया कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के हिसाब से संवेदनशील कोई भी बात सरकार को बाध्य नहीं कर रहा। चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम नोटिस बिफोर एडमिशन जारी कर रहे हैं। कमिटी के गठन पर बाद में फैसला लेंगे। कोर्ट ने इस मामले इ 10 दिन के बाद सुनवाई का आदेश दिया।
सुनवाई की शुरुआत में वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा था मैंने सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर नाम की तरफ से याचिका दाखिल की है। यह एक विशेषज्ञ संस्था है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आपको भी सुना जाएगा। कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप और कोई हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहते। तब मेहता ने कहा कि भारत सरकार कोर्ट के सामने है। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि सरकार यह सब बताए कि वह कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करती है, कौन सा नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में यह सब हलफनामे के रूप में नहीं बताया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम विशेषज्ञ कमिटी को सब बताएंगे। कल कोई वेबसाइट मिलिट्री उपकरण के इस्तेमाल पर कोई खबर प्रकाशित कर दे तो क्या हम सार्वजनिक रूप से उन सभी बातों का खुलासा करने लगेंगे। भारत सरकार कमेटी को हर बात बताएगी। हलफनामे में यह सब नहीं बताया जा सकता। कमिटी कोर्ट को रिपोर्ट देगी। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम में से कोई नहीं चाहता कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता हो। हम संवेदनशील बातें नहीं पूछ रहे। लेकिन याचिकाकर्ता नागरिकों की निजता का सवाल उठा रहे हैं। अगर वैध तरीके से कोई जासूसी हुई है तो इसकी अनुमति देने वाली संस्था को हलफनामा दाखिल करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा था हम सिर्फ लोगों की निजता जासूसी की वैधता के पहलू पर नोटिस जारी करना चाहते है। आपको संवेदनशील बातें बताने की ज़रूरत नहीं। तब मेहता ने कहा था बेहतर यही होगा कि हमें विशेषज्ञ कमेटी के सामने बातें रखने दीजिए। कमेटी कोर्ट को रिपोर्ट देगी। तब चीफ जस्टिस ने कहा था हम आपको कुछ भी ऐसा बताने को बाध्य नहीं कर रहे जो आप नहीं बता सकते। हम सीमित प्रश्न पर नोटिस जारी करना चाहते हैं।तब वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था हम भी नहीं चाहते कि सरकार अपने सॉफ्टवेयर जैसी संवेदनशील बातों को सार्वजनिक करे। तब मेहता ने कहा था हमें कमेटी बनाने दीजिए। कमेटी कोर्ट को रिपोर्ट देगी।
पिछली 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि हम सभी आरोपों का खंडन करते हैं। एक वेब पोर्टल ने संसद सत्र की शुरुआत से पहले सनसनी फैलाने के लिए कुछ अपुष्ट बातें प्रकाशित कर दीं। फिर भी हम स्थिति साफ करने के लिए निष्पक्ष तकनीकी विशेषज्ञों की एक कमिटी बनाना चाहते हैं।
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा था कि सरकार को शपथ लेकर बताना था कि क्या उसने कभी भी पेगासस का इस्तेमाल किया । इस बिंदु पर कोई साफ बात नहीं कही है। सिर्फ आरोपों का खंडन कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में पेगासस की जांच की मांग करते हुए अबतक पांच याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिका दायर करने वालों में वकील मनोहर लाल शर्मा, सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास, वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार, परंजॉय ठाकुरता समेत पांच पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड की याचिका शामिल है। एजेंसी/हिस
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