नई दिल्लीः देश के लगभग 25,000 न्यायिक अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने 1 जनवरी 2016 से बढ़े हुए वेतनमान को लागू करने का आदेश दिया है. साथ ही, इन्हें 3 किश्तों में बकाया एरियर का भुगतान करने का निर्देश केंद्र और राज्य सरकारों को दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, पहले 3 महीने के अंदर 25% बकाया दिया जाएगा. उसके अगले 3 महीने में 25% और बाकी रकम का 30 जून 2023 तक पेमेंट किया जाएगा. इससे पहले अप्रैल में चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा था कि न्यायिक अधिकारियों को जल्द ही वेतन आयोग संबंधित मुद्दों पर एक “अच्छी खबर” मिलेगी.
लाइव लॉ के मुताबिक, तेलंगाना राज्य न्यायिक अधिकारी सम्मेलन 2022 के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए सीजेआई ने कहा था कि न्यायिक अफसरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल पर जोर देते हुए कहा था कि वित्तीय कल्याण एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है. आप जब वित्तीय चिंताओं से मुक्त होंगे, तभी अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाएंगे. मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैंने वेतन आयोग से संबंधित मुद्दों को उठाया है और आपको जल्द ही इस पर एक अच्छी खबर मिलेगी.
लाइव लॉ के मुताबिक, केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतनमान 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिश के अनुरूप 1 जनवरी 2016 से प्रभावी किया गया था, जबकि जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों का वेतन पिछली बार 2006 में संशोधित किया गया था. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायपालिका के वेतनमान, सेवा शर्तों आदि की समीक्षा के लिए 2017 में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग का गठन किया था.
इस पर राज्यों ने कुछ आपत्तियां की थीं. उनकी मुख्य आपत्ति न्यायिक अधिकारियों के वेतनमान की तुलना सिविल सेवाओं से करने को लेकर थी. उनका कहना था कि ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि न्यायपालिका वर्ग अलग है. उनका ये भी कहना था कि इससे कुछ स्तरों पर न्यायिक अधिकारी 10वें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत सिविल सेवा के अधिकारियों को मिलने वाले वेतन से अधिक वेतन के हकदार हो जाएंगे.
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