नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कोरोना से हुई मौत (Death from Corona) के संबंध में मुआवजे के फर्जी दावों पर (Over False Claim) अपनी चिंता जताई (Worried) और कहा कि ‘हमने इस बारे में कभी सोचा नहीं था (We Never Thought about it) ।’ वह इस मामले में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को जांच का निर्देश दे सकता है। शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया कि कथित फर्जी मौत के दावों की जांच महालेखा परीक्षक कार्यालय को सौंपी जा सकती है।
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा: “हमने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के फर्जी दावे आ सकते हैं। हमने कभी नहीं सोचा था कि इस योजना का दुरुपयोग किया जा सकता है।” पीठ ने कहा कि अगर इसमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं तो यह ‘बहुत गंभीर’ है। अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 52 की ओर इशारा किया, जो इस तरह की चिंताओं को दूर करता है। न्यायमूर्ति शाह ने कहा, “हमें शिकायत दर्ज करने के लिए किसी की आवश्यकता है।”
एक वकील ने राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा मुआवजे के दावों की रैंडम जांच करने का सुझाव दिया। बच्चों को मुआवजे के पहलू पर, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके द्वारा आदेशित 50,000 रुपये का अनुग्रह भुगतान, कोविड -19 के कारण प्रत्येक मृत्यु के लिए किया जाना है, न कि प्रभावित परिवार के प्रत्येक बच्चे को।7 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों द्वारा कोविड की मौतों के लिए अनुग्रह मुआवजे का दावा करने के लिए लोगों को नकली चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने पर चिंता व्यक्त की, और कहा कि वह इस मामले की जांच का आदेश दे सकता है।
केंद्र ने प्रस्तुत किया था कि कोविड की मृत्यु से संबंधित दावों को प्रस्तुत करने के लिए एक बाहरी सीमा तय की जा सकती है, अन्यथा प्रक्रिया अंतहीन हो जाएगी, और कहा कि कुछ राज्य सरकारों को डॉक्टरों द्वारा जारी किए गए नकली चिकित्सा प्रमाण पत्र मिले हैं। मेहता ने यह भी बताया कि कुछ मामलों में डॉक्टर के प्रमाण पत्र के माध्यम से अनुग्रह मुआवजे पर शीर्ष अदालत के आदेश का दुरुपयोग किया गया है।
फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पर चिंता जताते हुए पीठ ने कहा, “चिंता की बात यह है कि डॉक्टरों द्वारा दिया गया फर्जी सर्टिफिकेट बहुत गंभीर बात है।”शीर्ष अदालत ने मेहता की इस दलील से भी सहमति जताई कि कोविड की मौत के दावों को दर्ज करने की समय सीमा होनी चाहिए। पीठ ने कहा, “कुछ समय-सीमा होनी चाहिए, अन्यथा प्रक्रिया अंतहीन रूप से चलेगी..।”
शीर्ष अदालत अधिवक्ता गौरव बंसल द्वारा कोविड पीड़ितों के परिवारों को राज्य सरकारों द्वारा अनुग्रह मुआवजे के वितरण के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कोविड -19 मौतों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के वितरण की निगरानी कर रही है।
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