नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (3 अक्टूबर, 2023) को एक बार फिर मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले से जुड़े मुकदमों का ब्यौरा मांगा. 21 जुलाई को भी कोर्ट ने शाही ईदगाह कमेटी की याचिका सुनते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिकॉर्ड मांगा था. हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की तरफ से अब तक कोई जवाब न आने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के संज्ञान में लाने के लिए कहा. अगली सुनवाई में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को भी कहा गया है. अब कोर्ट 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा.
ईदगाह कमेटी मामले से जुड़े सभी केस इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किए जाने का विरोध कर रही है. उसका कहना है कि सुनवाई मथुरा की कोर्ट में होनी चाहिए. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से जन्मभूमि मामले से जुड़े मुकदमों की लिस्ट देने को कहा था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की थी कि मामले के महत्व को देखते हुए हाईकोर्ट में सुनवाई ठीक ही है.
21 जुलाई को कोर्ट ने दिया था ये आदेश
21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित मुकदमों का डेटा जमा करने को कहा था. जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा कि मामले के महत्व को देखते हुए, क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करे. अगर इसे उच्च स्तर पर करने की कोशिश की जाती है तो मामले का लंबित होना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है. जस्टिस कौल ने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट स्तर पर ही सुलझ जाए तो बेहतर होगा. पीठ ने तब अपने आदेश में कहा, ‘हम हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से यह कहना उचित समझते हैं कि वे हमें बताएं कि वे कौन से मुकदमे हैं जिन्हें सम्मिलित करने की मांग की गई है.’
मथुरा अदालत के समक्ष मुकदमे में, बाल कृष्ण ने हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता और अन्य के माध्यम से सिविल जज सीनियर डिवीजन (III) की अदालत में मुकदमा दायर कर शाही मस्जिद ईदगाह को स्थानांतरित करने की मांग की थी. उनका दावा है कि इसका निर्माण श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ जमीन के एक हिस्से पर किया गया है. इससे पहले हाईकोर्ट ने 26 मई को निर्देश दिया था कि मथुरा अदालत के समक्ष लंबित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मामलों को अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाए.
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