नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अब इस बात का फैसला होगा कि ‘नींबूज’ सिर्फ नींबू पानी (lemonade) है या सोडा लाइम (soda lime) या फिर फलों के गूदे और रस से बना पेय (fruit pulp and juice). इस संबंध में हैदराबाद सेंट्रल एक्साइज आयुक्त द्वारा दाखिल की गई याचिका को शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया है. वह अब इस पेंच पर विचार करने को सहमत हो गई है कि ‘नींबूज’ पर उत्पाद शुल्क तय करने के लिए इसे ‘नींबू पानी’ के तौर पर वर्गीकृत किया जाए या फलों के पल्प या रस से बने ड्रिंक के तहत. दरअसल, आराधना फूड्स नामक कंपनी की अपील थी कि इसे इसके वर्तमान वर्गीकरण के बजाय नींबू पानी कहा जाए।
27 अप्रैल को कंपनी से मांगा गया है जवाब
GST की श्रेणी को लेकर सामने आए इस विवाद पर जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने आराधना फूड्स को नोटिस जारी कर 27 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है।
सेंट्रल एक्साइज और कंपनी के बीच यह है विवाद
विवाद सेंट्रल एक्साइज और आराधना फूड कम्पनी के बीच उत्पाद शुल्क की श्रेणी को लेकर है। उत्पाद शुल्क विभाग का कहना है कि नींबूज को सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स हैदराबाद यानी CETH 2022 के प्रावधान 90/20 के तहत फलों के गूदे और रस से बने पेय के तहत आना चाहिए. जबकि अराधना फूड्स की दलील है कि यह तो सिर्फ नींबू पानी है. उसे तो CETH 2022 के प्रावधान 10/20 के तहत सेंट्रल एक्साइज टैरिफ एक्ट 1985 के फर्स्ट शेड्यूल में होना चाहिए।
दलील मानने के बाद भी विभाग जिद पर अड़ा
आराधना फूड्स की दलील है कि उत्पाद शुल्क विभाग अप्रैल से दिसंबर 2013 में उनकी दलील मान भी चुका है, लेकिन उसके बाद विभाग अपनी जिद पर अड़ गया, क्योंकि उत्पाद शुल्क विभाग ने ऐसे ही अन्य उत्पादों का हवाला देते हुए पेप्सिको के इस उत्पाद थम्स अप नींबूज को भी फलों के गूदे और रस से बने उत्पाद की श्रेणी में रखते हुए उसी मुताबिक जीएसटी लगाने की दलील दी तो निर्माता कंपनी ने कोर्ट का रुख किया।
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