नईदिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जेपी नड्डा सहित केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार और कालेधन पर (On corruption and black money of Union Ministers including JP Nadda) आईएफएस संजीव चतुर्वेदी की अपील पर (On the appeal of IFS Sanjeev Chaturvedi) स्पीडी ट्रायल करेगा (Will conduct Speedy Trial) ।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा समेत अन्य केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार की शिकायतों और विदेश से लाए गए कालेधन को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा की गई कार्रवाई के मुद्दे पर उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया । न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और प्रसन्ना भालचंद्र वराला की खंडपीठ ने इस मामले की स्पीडी ट्रायल (तेज सुनवाई) के आदेश भी जारी किए हैं। इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।
उल्लेखनीय है कि चतुर्वेदी की याचिका में सितंबर 2014 में मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के खिलाफ चतुर्वेदी द्वारा की गई शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी भी शामिल है। बता दें कि चतुर्वेदी ने जून 2012 से अगस्त 2014 तक दिल्ली के एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के रूप में कार्य किया था। चतुर्वेदी की ओर से यह अपील दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 6 सितंबर 2019 को पारित आदेशों के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें चतुर्वेदी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया गया था।
दरअसल, चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई अधिनियम के तहत एक आवेदन दायर किया था, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों और उन पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण मांगा था। आवेदन में विदेश से लाए गए कालेधन का मूल्य, लोगों के बीच वितरित किया गया धन, और इसे विदेशों से लाने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी भी मांगी गई थी।
केंद्रीय सूचना आयोग ने अक्टूबर 2018 में पारित अपने आदेश में प्रधानमंत्री कार्यालय के सीपीआईओ को 15 दिनों के भीतर चतुर्वेदी को जानकारी प्रदान करने के लिए कहा था। लेकिन, नवंबर 2018 में पारित आदेश में प्रधानमंत्री कार्यालय के सीपीआईओ ने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों से संबंधित जानकारी को लेकर आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 7(9) का हवाला देते हुए कहा कि जानकारी विभिन्न क्षेत्रों में बिखरी हुई है।
इस जानकारी को एकत्र करना संसाधनों को असमान रूप से मोड़ देगा। कालेधन के संबंध में सीपीआईओ द्वारा पारित आदेश में कहा गया कि मामला एसआईटी द्वारा जांच के अधीन है और इसलिए आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (डी) के तहत जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती। इसके खिलाफ संजीव चतुर्वेदी ने फिर सीआईसी का दरवाजा खटखटाया। जून 2019 में पारित आदेशों में सीआईसी ने पाया कि सीपीआईओ ने अक्टूबर 2018 में पारित सीआईसी के पहले के आदेशों के अनुपालन में अनउपयुक्त उत्तर प्रदान किया है।
इस आदेश से व्यथित होकर चतुर्वेदी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। हालाँकि, उनकी याचिका को जुलाई 2019 में पहले सिंगल बेंच और फिर सितंबर 2019 में डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ दिसंबर 2019 में चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर जनवरी 2020 में न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और हेमंत गुप्ता की पीठ द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय के सीपीआईओ को नोटिस जारी किया गया था।
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