img-fluid

रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट सरकार पर सख्त, दिया ये बड़ा बयान!

December 15, 2022

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े एक मामले में केंद्र सरकार को फटकारा है। एक मामले की त्वरित सुनवाई की अर्जी पर कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को कहा है कि इससे आसमान नहीं गिर जाएगा। दरअसल यह मामला कृष्णा-गोदावरी बेसिन के डी6 ब्लॉक में 400 मिलियन डॉलर के प्राकृतिक गैस की निकासी के मामले से जुड़ा है। इसी मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज, बीपी क्प्लोरेशन और निको रसोर्सेज के बीच मध्यस्थता की कार्यवाही की शुरुआत होनी है, लेकिन ये शुरू हाेने के पहले ही केंद्र सरकार यह मामला लेकर पहुंच गई।

रिलाइंस इंडिया की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरिसम्हा की पीठ को जानकारी दी कि सरकार ने आनन फानन में मध्यस्थता रोकने के लिए अंतिम समय में कदम उठाया। साल्वे ने कोर्ट को बताया कि ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथा विदेशी कंपनियों के विशेषज्ञ भारत में हैं, लेकिन सरकार की ओर से नामित मध्यस्थ पूर्व सीजेआई वीएन खरे उनके लिए मायावी साबित हो रहे हैं, इससे 11 वर्ष पुराने विवाद के समाधान पर संकट गहरा गया है।

बंगाल की खाड़ी में प्राकृतिक गैस उत्पादन से जुड़ा है मामला
बंगाल की खाड़ी में स्थित KG-D6 ब्लॉक के धीरूभाई -1 और 3 अन्य गैस क्षेत्रों से प्राकृतिक गैस का उत्पादन 2010 यानी दूसरे वर्ष से ही कंपनी के अनुमानों से कम होना शुरू हो गया था। इसके बाद इस क्षेत्र ने फरवरी 2020 में अपने अनुमानित अवधि से बहुत पहले ही उत्पादन करना बंद कर दिया। उधर दूसरी ओर, सरकार ने इस घटना के लिए कंपनी पर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए तीन बिलियन डॉलर से अधिक के अतिरिक्त लागत को अस्वीकार कर दिया था। उसके बाद कंपनी ने इस पर आपत्ति जताते हुए सरकार को मध्यस्थता की चुनौती दी थी।


सरकार के तर्क से सहमत नहीं हुई सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ
सरकार की तरफ से कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एके गांगुली ने कहा कि दोनों मध्यस्थों के खिलाफ सरकार के पक्षपातपूर्ण आरोप को खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ एक अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है। ऐसे में अगर मध्यस्थता जनवरी या फरवरी टाल दी जाती है तो “आसमान तो नहीं गिरेगा”।

इस पर CJI की पीठ ने कहा, “अगर इस तरह से सरकार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को टालने की कोशिश करेगी तो आसामान तो गिर ही जाएगा। एक तरह तरफ हम कर रहे हैं कि भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वाणिज्यिक विवादों के समाधान को गति देने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र के रूप में मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना चाहिए, दूसरी ओर हम मध्यस्थता टालने की कोशिश कर रहे हैं यह क्या है? क्या यह व्यापारिक उद्देश्यों के लिए विदेशी निवेशकों को भारत आने के लिए प्रोत्साहित करने का सही तरीका है?”

Share:

केबिन क्रू की कमी से एयर इंडिया की घरेलू उड़ानों में हो रही देरी, अधिकारियों का दावा

Thu Dec 15 , 2022
नई दिल्ली। केद्र सरकार के नियंत्रण से टाटा ग्रुप के नियंत्रण में जाने वाली विमानन कंपनी एयर इंडिया की घरेलू उड़ानों के संचालन में केबिन क्रू की कमी के कारण देरी हो रही है। मामले की जानकारी रखने वाले अफसरों ने इस बात का खुलासा किया है। बता दें कि यह खबर ऐसे समय में […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved