नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर (Former Professor of Delhi University)और माओवादियों के मददगार (Maoist Helper) जीएन साईबाबा (GN Saibaba) की रिहाई पर रोक लगा दी (Stays the Release) । साईबाबा पर कथित तौर पर माओवादियों से संबंध रखने और उनकी मदद करने का आरोप है। बता दें कि शुक्रवार को साईबाबा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरी करने के साथ ही तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था।
जीएन साईबाबा को बरी करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के लिए शुक्रवार शाम महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वहीं सुप्रीम कोर्ट शनिवार को सुबह 11 बजे सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया था। सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “इस मामले में छह आरोपी हैं और आरोपी 6 (जीएन साईंबाबा) मास्टर हैं। पहले पांच की मंजूरी पर विचार करते समय आरोपी की भूमिका पर विस्तार से विचार किया गया है। जहां तक आरोपी 6 (जीएन साईंबाबा) का संबंध है, स्वीकृति आदेश देर से आया और जांच अधिकारी से पहले ही पूछताछ की जा चुकी थी। इसलिए उसे वापस बुला लिया गया और आरोपी ने उस पर आपत्ति नहीं की। इसे उच्च न्यायालय के समक्ष रखा गया और उच्च न्यायालय ने उस पहलू को छुआ तक नहीं।”
बता दें कि शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस रोहित देव और अनिल पानसरे की बेंच ने उन्हें बरी किया था। इसके साथ ही कोर्ट ने जीएन साईबाबा द्वारा निचली अदालत के 2017 के आदेश को चुनौती देने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने की अपील को भी अनुमति दे दी थी। जीएन साईबाबा शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं और व्हीलचेयर पर हैं। वह वर्तमान में नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
2017 में गढ़चिरौली जिले की सत्र अदालत ने जीएन साईबाबा और अन्य को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। वहीं कुछ दिन पहले जीएन साईबाबा ने अपनी जेल की कोठरी के अंदर सीसीटीवी कैमरा लगाने के विरोध में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी। उनकी पत्नी और उनके भाई ने शनिवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्री देवेन्द्र फडनवीस को पत्र लिखकर सीसीटीवी कैमरे को हटाने की मांग की थी।
जीएन साईबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के टीचर थे और पिछले साल उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं थीं। जब 2014 में उन्हें महाराष्ट्र पुलिस ने संदिग्ध माओवादी लिंक के लिए गिरफ्तार किया था, उसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
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