नई दिल्ली। नई प्राइवेसी पॉलिसी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फेसबुक (Facebook) और वॉट्सऐप (Whatsapp) को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप और फेसबुक से कहा की लोगों की गोपनीयता बेहद अहम है। आप दो तीन ट्रिलियन की कंपनी हो सकते हैं, लेकिन लोगों में डर है की उनके डेटा को कहीं और बेचा जा रहा है। लोगों की निजिता की सुरक्षा करना हमारी ड्यूटी है।
एक जनहित याचिका में कहा गया है की वॉट्सऐप और फेसबुक की नई प्राइवेसी पॉलिसी से लोगों की निजिता का हनन हो रहा है और डेटा लीक किया जा रहा है। आरोप लगाया गया है की वॉट्सऐप और फेसबुक यूरोप के लिए अलग मापदंड रखते हैं और भारत के लिए अलग नियम हैं, ये सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनो कंपनियों से जवाब तलब किया है।
गौरतलब है कि कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि WhatsApp ने ‘माई वे या हाई वे ’ के दृष्टिकोण को अपनाया है, जो मनमाना, अनुचित, असंवैधानिक है। इसे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वॉट्सऐप व्यक्तिगत उपयोगकर्ता के डेटा को धोखे से इकट्ठा कर रहा है। भारत में अपने लॉन्च के समय, वाट्सऐप ने उपयोगकर्ताओं को डेटा और मजबूत गोपनीयता सिद्धांतों को साझा न करने के वादे के आधार पर आकर्षित किया।
2014 में भी किए थे बदलाव
2014 में ही फेसबुक द्वारा वाट्सऐप के अधिग्रहण के बाद, जब उपयोगकर्ताओं ने अपने डेटा की गोपनीयता पर संदेह करना शुरू कर दिया था। क्योंकि उन्हें भय था कि उनके व्यक्तिगत डेटा को फेसबुक के साथ साझा किया जाएगा। उस समय वाट्सऐप ने वादा किया कि अधिग्रहण के बाद गोपनीयता नीति में कुछ भी नहीं बदलेगा। हालांकि, अगस्त 2016 में, वाट्सऐप अपने वादे से पीछे हट गया और एक नई गोपनीयता नीति पेश की जिसमें उसने अपने उपयोगकर्ताओं के अधिकारों से गंभीर रूप से समझौता किया और उपयोगकर्ताओं के गोपनीयता अधिकारों को पूरी तरह से कमजोर कर दिया।
वाणिज्यिक विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए डेटा का इस्तेमाल
नई गोपनीयता नीति के तहत, इसने वाणिज्यिक विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए फेसबुक और इसकी सभी समूह कंपनियों के साथ व्यक्तिगत डेटा साझा किया। तब से कंपनी अपनी नीतियों में बदलाव कर रही है, ताकि सूचनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को इकट्ठा और संसाधित किया जा सके, और तीसरे पक्ष को डाटा दिया जा सके।
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