नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना को मंजूरी देने के लिए केंद्र और एक गैर सरकारी संगठन (NGO) से अतिरिक्त सुरक्षा उपाय सुझाने को कहा जिन्हें वह महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना क्रियान्वित करने वाली एजेंसियों पर लगा सके।
शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा हम ‘अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू होना चाहिए’ कहने के बजाय अपने आदेश में इसे शामिल करना चाहेंगे, जिन पर परियोजना से जुड़ीं एजेंसियों को अमल करना होगा।
बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने दलील दी कि उसने क्षेत्र के भौगोलिक सर्वेक्षण समेत कई अध्ययन कराए हैं और भूस्खलन की घटनाओं में कमी लाने के कई उपाय किए हैं। इसके बावजूद यदि अदालत अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू करना चाहती है तो हमें कोई हर्ज नहीं है।
उत्तराखंड में पवित्र चार धामों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़ने वाली 12 हजार करोड़ की 900 किलोमीटर लंबी परियोजना पर पीठ ने स्पष्ट कहा कि हमने इसे लेकर कोई धारणा नहीं बनाई है, लेकिन इस मुद्दे पर सभी पक्षों से उचित जवाब पाने के लिए कुछ सवाल पूछ रहे हैं। हम खुली बहस के लिए तैयार हैं।
विदित हो कि अदालत 8 सितंबर 2020 के उस आदेश में संशोधन के लिए केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को परियोजना से जुड़े राजमार्ग पर 5.5 मीटर का गलियारा बनाने का नियम पालन करने को कहा गया था। यह राजमार्ग चीन की सीमा से जुड़ा है। पीठ ने केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सिटीजन फॉर ग्रीन दून के वकील कोलिन गोंजाल्विस से सुझाव मांगे कि अदालत यदि चौड़ी सड़कों के साथ परियोजना को मंजूरी देती है तो किस तरह के अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू कर सकती है।
वहीं अदालत ने अटार्नी जनरल से कहा कि हम सीमित तौर पर कुछ पाबंदियां भी लगा सकते हैं। आपको भी बताना होगा कि सीमा सड़क संगठन और लोक निर्माण विभाग जैसी एजेंसियों पर कौन-कौन से अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू किए जा सकते हैं। इन एजेंसियों को इन उपायों का पालन सुनिश्चित करना होगा जिन पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट में चिंता जताई गई थी।