नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले (Delhi liquor policy scam case) में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सीबीआई और केजरीवाल ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. दरअसल, केजरीवाल को पहले ईडी ने अरेस्ट किया था, लेकिन उस मामले में जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने उन्हें जेल से ही गिरफ्तार कर लिया था. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने मामले पर सुनवाई की.
इस दौरान केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू मौजूद रहे. जमानत के लिए दो याचिकाएं दायर की गई हैं. केजरीवाल के वकील सिंघवी का कहना है कि हमारी पहली याचिका गिरफ्तारी को चुनौती देने की है जबकि दूसरी याचिका जमानत के लिए है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, सिर्फ बयान हैं.
केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. उन्हें 10 दिन की पूछताछ के बाद एक अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया था. उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 21 दिनों के लिए 10 मई को रिहा किया गया था. उन्हें ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की एक जून तक की रिहाई मंजूर की थी. इसके बाद दो जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. ऐसे में आज यानी 5 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई होती है तो उन्हें जेल गए कुल 169 दिन हो जाएंगे और अगर 21 दिन की रिहाई को कम कर दिया जाए तो केजरीवाल कुल 148 दिन जेल में रहे हैं.
केजरीवाल के वकील सिंघवी का कहना है कि आज का मामला सिर्फ सीबीआई केस से जुड़ा हुआ है. केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं है. वह दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने केजरीवाल की पैरवी करते हुए दो नियमित जमानत के आदेशों का हवाला दिया, जिसमें से एक निचली अदालत और एक सुप्रीम कोर्ट का आदेश का है. इस मामले में केजरीवाल के वकील की ओर से दलील दी जा रही है कि शुरुआती एफआईआर में केजरीवाल का नाम नहीं है. सिंघवी ने कहा कि PMLA के तहत दोहरी शर्तों का प्रावधान है. इन सख्त नियमों के बावजूद हमारे पक्ष मे दो फैसले हुए हैं. सीबीआई ने केजरीवाल को दो साल बाद गिरफ्तार किया है.
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यहां सवाल यह है कि क्या जमानत के मामले में हमें इतनी देर तक सुनवाई करनी चाहिए? क्या आम लोगों को भी इतना समय मिलता है? हालांकि इस मामले में CBI की तरफ से पेश हो रहे ASG ने यह कहा कि याचिकाकर्ता ने जितना समय अपनी दलील रखने में दिया है. एजेंसी को भी उतना ही समय दिया जाना चाहिए. सिंघवी ने जवाब दिया कि 2023 में सीबीआई ने केजरीवाल को गवाह के तौर पर बुलाया था. मार्च में आचार संहिता लगी. फिर ईडी ने गिरफ्तार किया. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अंतरिम जमानत पर रिहा किया. जून में ट्रायल कोर्ट ने जमानत दी. तो फिर गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी? हिरासत में रहने के दौरान 3 महीने में क्या हुआ?
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