नई दिल्ली (New Delhi) । एक ‘बेतुकी’ याचिका दाखिल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वकील (Advocate) और याचिकाकर्ता (petitioner), दोनों को लताड़ लगाई। याचिका में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को न्यायिक आदेशों का पालन करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। सोमवार को शीर्ष अदालत ने इस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता-वकील को ‘कुछ कानून’ सीखने की सलाह दी।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालत के सभी आदेशों का पालन करना होता है। पीठ ने कहा, ‘‘न्यायालय के आदेश से शासित होने वाले सभी पक्ष इसका पालन करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, जो अपील आदि पर निर्भर करता है। रिट याचिका नहीं दायर की जा सकती।’’
पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। न्यायालय ने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘‘किसी रिट याचिका पर विचार करते हुए एक सामान्य आदेश कैसे पारित किया जा सकता है?’’ पीठ ने तमिलनाडु के मदुरै निवासी याचिकाकर्ता-वकील केके रमेश को वरिष्ठ अधिवक्ता से कुछ कानून सीखने की सलाह दी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आपके पास कुछ खाली समय है। मुझे लगता है कि आप किसी वरिष्ठ के साथ जुड़ सकते हैं और कुछ कानून सीख सकते हैं। हमने पिछली बार भी आपसे कहा था कि ऐसी याचिकाएं दायर न करें। न्यायालय के आदेशों का पालन करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता। अनुपालन नहीं होने पर निर्देश दिये जाते हैं। कानून यह है कि आपको पारित किये गए आदेशों का पालन करना होगा।’’
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