नई दिल्ली । सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) के कारण भारत (India) में हर साल हजारों लोगों की मौत होती है। इसी वजह को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सड़क एवं परिवहन मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) को सड़क दुर्घटना में घायलों के इलाज के लिए 8 जनवरी को कोई कैशलेस स्कीम लाने का निर्देश दिया था लेकिन मंत्रालय की तरफ से कोई योजना अभी तक न आने पर बुधवार को कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और साथ ही साथ स्पष्टीकरण भी मांगा है।
जस्टिस एक एस ओका और उज्जवल भुइयां की पीठ ने चेतावनी देते हुए मंत्रायल के मुख्य सचिव को भी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अदालत अवमानना की कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।
पीठ ने कहा, “सरकार को दिया गया समय 15 मार्च को समाप्त हो गया था। हमारा मानना है कि यह न केवल इस अदालत के आदेश की अवहेलना है, बल्कि यह कानून की एक बहुत ही लाभकारी योजना को लागू करने में हुई विफलता का भी मामला है.. हम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने और केंद्र सरकार की ओर से चूक के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश देते हैं।”
न्यायाधीश ओका ने इस मामले पर कहा कि हमें कोर्ट में यह पुराना अनुभव है कि जब तक किसी मंत्रालय के सचिव को न बुला लिया जाए वह कोर्ट के आदेश के गंभीरता से नहीं लेते हैं… एक बार उनको बुला लिया जाए तो फिर वह आदेशों को मानने के लिए तैयार हो जाते हैं।
वहीं इस मामले में मंत्रायल की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि योजना तैयार कर ली गयी है लेकिन इसे लागू करने में कुछ दिक्कतें आ रही है। इसलिए यह पूरी देरी हो रही है। इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि आपकी अड़चनों या दिक्कतों की वजह से यहां कई लोगों की जान जा रही है। उन्होंने कहा कि हम आपको यह बहुत ही स्पष्ट शब्दों में बता देना चाहते हैं कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया जाता है तो इसके लिए हम अवमानना का नोटिस भी जारी करेंगे ।
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