नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को आयकर विभाग (Income Tax Department) को छोटी रकम के लिए लंबी और महंगी मुकदमेबाजी में लिप्त होने के लिए फटकार लगाई. जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि वादी को पूरी जिम्मेदारी के साथ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों के अपील में आने से पहले किसी जिम्मेदार व्यक्ति को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी. कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इतनी छोटी राशि के लिए आयकर विभाग ने क्यों अपील दाखिल की है जबकि यहां बहुत सारे मामले आयकर विभाग की वजह से ऐसे हैं जिन पर आप वसूली की रकम से भी ज्यादा खर्च कर रहे है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में एक दिन की सुनवाई की फीस उससे ज्यादा होगी.
अनावश्यक मुकदमेबाजी से नाराज बेंच
यह टिप्पणी कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए पीठ ने की. हाई कोर्ट ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा था. पीठ इस बात से नाराज थी कि संबंधित विवाद की राशि केवल 1.5 लाख रुपये है. यदि कोई कानूनी प्रश्न है तो उसकी जांच उचित मामले में की जा सकती है.
यह पहली बार नहीं है जब सर्वोच्च न्यायालय ने अनावश्यक मुकदमेबाजी पर अपनी सख्त नाराजगी जताई है. पिछले वर्ष अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर खेद जताया था कि सरकार द्वारा दायर मुकदमेबाजी का एक बड़ा हिस्सा निरर्थक है. जबकि सरकार की ओर से तैयार की जा रही मुकदमेबाजी नीति भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई है.
पहले भी कोर्ट ने की थी टिप्पणी
इसके अलावा निरर्थक याचिकाएं दायर करने से न्यायालय का कार्यभार अनावश्यक रूप से बढ़ रहा है. पिछले साल मई में जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे कम से कम 40 प्रतिशत मुकदमे निरर्थक और खामख्वाह हैं.
अप्रैल 2023 में भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी टिप्पणी की थी कि केंद्र सरकार को कानूनी विवादों को सुलझाने के लिए मुकदमेबाजी का सहारा लेने के बजाय बड़े पैमाने पर मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहिए.
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