नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शंभू बॉर्डर (Shambhu border) खोलने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) के आदेश पर बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार हाईवे पर ट्रैफिक (Traffic on the highway) कैसे रोक सकती है?
जस्टिस कांत ने हरियाणा सरकार से इस मामले पर हलफनामा दायर करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान भी देश के नागरिक हैं, उन्हें भी सुविधाएं चाहिए. उन्हें भी भोजन और बेहतर चिकित्सा सुविधाएं दी जानी चाहिए. वे आएंगे, नारे लगाएंगे और वापस चले जाएंगे.
दरअसल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रास्ता खोले जाने को लेकर आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार को करेगा.
क्या है मामला?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भूयां की पीठ ने शंभू बॉर्डर दोबारा खोलने के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बात कही.
दरअसल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 साल के युवक की मौत की न्यायिक जांच का आदेश दिया था. इसी आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जब शंभू में स्थिति शांतिपूर्ण है तो किसानों को आगे बढ़ने से रोकने का कोई मतलब नहीं है. केंद्र सरकार से मांग की जा रही है और उन्हें जाने दिया जाना चाहिए. हरियाणा सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि बैरिकेडिंग हटाने से किसानों के लिए राज्य में प्रवेश करना और एसपी ऑफिस का घेराव करना आसान हो जाएगा. जजों ने कहा कि विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार है और किसानों को हरियाणा में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता.
हाईकोर्ट की पीठ ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को राजमार्ग की बहाली के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने का भी निर्देश दिया था.
पांच महीने से बंद है शंभू बॉर्डर
किसानों ने पांच महीने पहले दिल्ली मार्च का ऐलान किया था. इसके बाद से ही शंभू बॉर्डर बंद था. पंजाब और हरियाणा बॉर्डर को अलग करने वाले शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने सात स्तर की बैरिकेडिंग कर रखी है.
शंभू बॉर्डर के व्यापारियों ने किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर बॉर्डर खोले जाने को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था. पंजाब के विभिन्न हिस्सों से करीब 400 किसान अभी भी शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. हालांकि चावल की रोपाई के बाद अधिकांश किसान अपने खेतों में वापस लौट गए हैं.
किसान यूनियनों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे अपना मार्च कब फिर से शुरू करेंगे. इस सप्ताह शंभू बॉर्डर पर किसान यूनियनों की एक बैठक होनी थी.
किसानों की हैं ये मांगें
शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) कर रहे हैं. किसानों ने तीन प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग को लेकर शंभू रेलवे स्टेशन को जाम कर दिया था, लेकिन एक महीने बाद इसे खाली करा लिया गया. किसान यूनियनों की मांगों में दो दर्जन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, बुजुर्ग किसानों और मजदूरों के लिए मासिक पेंशन और कर्ज माफी शामिल हैं
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