नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को पूर्व सैनिकों को (To Ex-Servicemen) वन रैंक वन पेंशन (OROP) के एरियर भुगतान पर (On Payment of Arrears) केंद्र सरकार के (Central Government’s) सीलबंद कवर नोट (Sealed Cover Note) को अस्वीकार कर दिया (Rejected) ।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल (एजी), आर. वेंकटरमानी से पूर्व सैनिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी के साथ एक नोट साझा करने के लिए कहा। एजी ने जवाब दिया कि यह एक गोपनीय नोट है, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हमें सुप्रीम कोर्ट में इस सील बंद कवर प्रथा को समाप्त करने की आवश्यकता है। पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. परदीवाला ने आश्चर्य व्यक्त किया कि इस मामले में क्या गोपनीयता हो सकती है, जो कि अदालत के आदेशों के कार्यान्वयन से संबंधित है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफे के खिलाफ हूं। यह मौलिक रूप से न्यायिक प्रक्रिया के विपरीत है। ऐसा नहीं हो सकता है। अदालत को पारदर्शी होना चाहिए। पीठ ने कहा कि यह अदालत के फैसले के निर्देशों के अनुसार पेंशन का भुगतान है। चीफ जस्टिस ने एजी से कहा, इसमें गोपनीयता क्या हो सकती है? एजी ने कहा कि कुछ संवेदनशीलता के मुद्दे हैं। पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि उसे इस सीलबंद कवर प्रक्रिया को समाप्त करने की आवश्यकता है , जिसका पालन उच्चतम न्यायालय में किया जा रहा है क्योंकि तब उच्च न्यायालय भी पालन करना शुरू कर देंगे। पीठ ने दोहराया, यह निष्पक्ष न्याय की मूल प्रक्रिया के विपरीत है।
शीर्ष अदालत ने ओआरओपी बकाये के भुगतान को लेकर भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएसएम) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने चार किश्तों में ओआरओपी बकाया का भुगतान करने का एकतरफा निर्णय लेने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। 13 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को अगले सप्ताह तक ओआरओपी योजना के तहत बकाया भुगतान के लिए एक रोडमैप के साथ आने को कहा था। रक्षा मंत्रालय ने शीर्ष अदालत में एक अनुपालन नोट प्रस्तुत किया है, जिसमें पूर्व सैनिकों को वर्ष 2019-22 के 28 हजार करोड़ रुपये के बकाए के भुगतान की समय-सारणी दी गई है।
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