नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को उस याचिका (Petition) को खारिज (Reject) कर दिया, जिसमें सरकार को न्यायपालिका (Judiciary ) के लिए अलग और पर्याप्त फंड (Separate fund) आवंटित (Allocation) करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुरू में अधिवक्ता रीपक कंसल से पूछा, “यह किस तरह की याचिका है?”
पीठ में मौजूद अन्य न्यायाधीश जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने कहा कि अदालत सरकार को न्यायपालिका के लिए अलग से कोष आवंटित करने का कोई निर्देश नहीं देना चाहती। पीठ ने कहा, “क्षमा करें, हम नहीं चाहते, हम इससे उचित तरीके से निपटेंगे।”
कंसल, याचिकाकर्ता ने अदालत से आवेदन पर सुनवाई करने का अनुरोध किया, पीठ ने जवाब दिया “हम वर्तमान मामले में ऐसा कोई निर्देश नहीं देना चाहते हैं।” शीर्ष अदालत उस जनहित याचिका की बहाली के लिए एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी जिसे मार्च में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने गैर-अभियोजन के लिए खारिज कर दिया था।
पीठ ने अपने आदेश में याचिका को खारिज करते हुए कहा, “आवेदन बहाल। रिट याचिका खारिज। बिना कोई विचार व्यक्त किए।” सुनवाई के दौरान कंसल ने कहा कि उन्होंने मामले की बहाली के लिए एक आवेदन दायर किया है और याचिका में न्यायपालिका के लिए धन के आवंटन के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को न्यायिक प्रणाली के सुचारू, प्रभावी और निष्पक्ष कामकाज के लिए अलग और पर्याप्त धन आवंटित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। न्यायपालिका को आवंटित धन का प्रबंधन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के साथ एक अलग सचिवालय के गठन के लिए दलील दी गई।
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