नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद में (In South Delhi’s Tughlakabad) अतिक्रमण विरोधी अभियान (Anti-Encroachment Drive) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया (Refused to Stay) । न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने अतिक्रमण हटाने के लिए विध्वंस अभियान से प्रभावित कुछ निवासियों द्वारा दायर याचिका पर केंद्र, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और दिल्ली विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी किए।
निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने जोर देकर कहा कि यह एक मानवीय समस्या है और तुगलकाबाद किले के आसपास के क्षेत्रों को खाली करने के लिए एक आदेश पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा निवासियों के लिए एक वैकल्पिक पुनर्वास की पेशकश की गई है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मंगलवार को पहले मामले की सुनवाई करेगी। गोंजाल्विस ने कहा कि लगभग 1,000 घर पहले ही जा चुके हैं। साथ ही और भी घरों के तोड़े जाने की खबर है। उन्होंने अदालत से यथास्थिति बहाल करने का आग्रह किया।
शीर्ष अदालत ने विध्वंस अभियान के संबंध में कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया और केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। इससे पहले दिन में, गोंजाल्विस ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। मुख्य न्यायाधीश ने गोंजाल्विस को न्यायमूर्ति खन्ना के समक्ष मामले का उल्लेख करने की अनुमति दी।
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