नई दिल्ली (New Delhi) । UGC-NEET परीक्षा (Exam) से जुड़ी 40 से ज्यादा याचिकाओं (Petitions) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई शुरू कर दी है। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने दोबारा परीक्षा कराए जाने को लेकर एक शर्त भी रख दी है। अदालत का कहना है कि जब ‘ठोस आधार’ पर यह साबित होना जरूरी है कि बड़े स्तर पर परीक्षा प्रभावित हुई है। खास बात है कि इस मामले से जुड़ी याचिकाओं को अदालत ने तरजीह दी है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘केवल इसलिए कि 23 लाख में से सिर्फ 1 लाख को ही दाखिला मिलेगा, इस आधार पर हम दोबारा परीक्षा कराए जाने का आदेश नहीं दे सकते। दोबारा एग्जाम इस ठोस आधार पर होनी चाहिए कि पूरी परीक्षा ही प्रभावित हुई है।’ याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुई वकील नरेंद्र हुड्डा से सीजेआई ने कहा कि यह साबित होना चाहिए कि पेपर लीक इतना व्यवस्थित था और इसने पूरी परीक्षा को प्रभावित किया है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने हुड्डा से देश में मेडिकल सीट के बार में पूछा। इसपर अदालत को बताया गया कि संख्या 1 लाख 8 हजार है। साथ ही तर्क दिया कि अगर दोबारा परीक्षा कराई जाती है। ऐसे में 1 लाख 8 हजार रीटेस्ट होंगे। उन्होंने कहा कि 22 लाख क्वालिफाई नहीं कर पाएंगे। इसपर सीजेआई ने पूछा कि क्या होगा अगर कोई वैध तरीके से 1 लाख 8 हजार में नहीं आ पाता है।
हुड्डा ने जवाब दिया कि ये सभी 22 लाख दोबारा एक मौका चाहेंगे। सीजेआई का कहना है कि हम सिर्फ इसलिए दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दे सकते, क्योंकि वे दोबारा पेपर देना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा तब ही हो सकता है, जब परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई हो।
खास बात है कि केंद्र और NTA यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने दोबारा परीक्षा कराए जाने की मांग का विरोध किया है। उनका कहना है कि कथित तौर पर हुईं कुछ अनियमितताएं स्थानीय तौर पर हैं और इसका असर पूरी परीक्षा पर नहीं पड़ा है। केंद्र सरकार की तरफ से एक हलफनामा भी दाखिल किया जा चुका है, जिसमें IIT मद्रास के डेटा एनालिटिक्स का जिक्र है। यह दिखाता है कि परीक्षा में बड़े स्तर पर अनियमितताओं के संकेत नहीं मिले हैं।
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