नई दिल्ली। यदि समान कार्य, समान वेतन के सिद्धांत के बारे में कहीं विडंबना है तो उसमें सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के एवज में जज को मिलने वाले पैसे और केस की पैरवी के लिए वकीलों को मिलने वाली फीस है। दोनों के बीच काफी चौड़ी खाई है। एक सुप्रीम कोर्ट के जज को महीने में 2.5 लाख रुपये का वेतन मिलता है, जो लगभग 8,333 रुपये प्रति दिन होता है। इस दौरान वह औसतन 40 मामलों में वकीलों की दलीलें सुनता है। यह प्रति केस 208 रुपये मिलते हैं। अब चाहे वह मामला साधारण अपील हो, कोविड मुद्दे पर जनहित याचिका हो या कानून के जटिल सवालों से जुड़ा हो।
इसके उलट, बड़े वकील एक मामले में बहस करने के लिए 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की फीस लेते हैं। अगर बात अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी या हरीश साल्वे जैसे अनुभवी बड़े वकीलों की फीस 10 से 20 लाख रुपये तक होती है। ऐसे में एक मामले की सुनवाई और फैसला करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज को एक केस में रोज 208 रुपये मिलते हैं, जबकि सीनियर एडवोकेट, जो किसी मामले में फैसले की गारंटी नहीं दे सकते, उन्हें प्रति मामले में प्रतिदिन लाखों रुपये का भुगतान किया जाता है।
खैर, सीनियर एडवोकेट में से कोई भी एक दिन में 40 मामलों में बहस नहीं करता है जिसके लिए एक सुप्रीम कोर्ट जज हर शाम को अगले दिन कानूनी तर्क सुनने के लिए तैयार रहने को होमवर्क करता है। यही कारण है कि कई सुप्रीम कोर्ट जज अपने रिटायरमेंट के लिए तैयार रहते हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्हें मध्यस्थों के रूप में कानूनी विशेषज्ञता की पेशकश करने की अनुमति होती है। सुप्रीम कोर्ट जज कानूनी मुद्दों पर या अनुबंधों, समझौतों और समझौता ज्ञापनों से उत्पन्न होने वाले विवादों में निगमों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को महत्वपूर्ण राय प्रदान करता है।
एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज मध्यस्थ के रूप में महज दो घंटे के भीतर ही 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच कमाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो एक सफल सीनियर जज की कमाई की बराबरी के लिए हर दिन तीन बैठकें करते हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में रिटायर्ड हुए जज के एक मध्यस्थ के रूप में एक सामान्य जज की तुलना में थोड़े अधिक पैसे मिलते हैं।
एक राय देने के लिए, रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज को 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच मिलता है, जबकि एक रिटायर्ड सीजेआई की प्रत्येक राय के लिए उसे 10-20 लाख रुपये मिलते हैं। एक रिटायर्ड सीजेआई ने टीओआई को बताया: “मैं एक महीने में तीन से चार राय देता हूं और 30-50 लाख रुपये कमाता हूं, एक घर बैठे जज के लिए इतने पैसे की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मैं बहुत दान करता हूं और फिर भी, मेरे पास इतने पैसे बचे हैं जो कोर्ट में जज के रूप में दो दशकों से अधिक समय तक सेवाएं प्रदान करने के बाद रियायरमेंट पर मुझे मिलने वाले प्रोविडेंट फंड के पैसे से अधिक है।”
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