नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मोटर दुर्घटना के दावों को उपभोक्ता फ्रेंडली बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने ऐसा तंत्र विकसित करने के लिए कहा है जिसमें तकनीक के प्रयोग, ऑनलाइन भुगतान, पुलिस, बीमा कंपनियों और इस तरह के मामलों का निपटारा करने वाले ट्रिब्यूनल (पंचाट) के साथ ई-मेल संवाद हो।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी ने पूरे देश में एक समान प्रक्रिया अपनाने के लिए कई निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जेके सूद ने कहा है कि आदेशों पर अमल करने के लिए थोड़ा समय दिया जाए। पूरे देश में पुलिस अथॉरिटी और ट्रिब्यूनल के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Online Platform) विकसित करने के लिए वक्त चाहिए।
पीठ ने ये निर्देश विधि अधिकारी द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर दिए। विधि अधिकारी ने यह रिपोर्ट विभिन्न हितधारकों और न्याय मित्र एन विजयराघवन व वकील विपिन नायर के साथ विचार-विमर्श करने के बाद तैयार किया है।
48 घंटे के अंदर दें दुर्घटना की जानकारी
पीठ ने कहा है कि संबंधित पुलिस थाने को दुर्घटना की जानकारी 48 घंटे के भीतर ई-मेल और डेडिकेटेड वेबसाइट के जरिए मोटर दुर्घटना दावा पंचाट और बीमा कंपनी को देनी चाहिए।
इसके अलावा पुलिस को मुआवजे के आकलन से संबंधित दस्तावेज को जमा और सत्यापित करना चाहिए। पुलिस द्वारा तीन महीने के भीतर ई-मेल के जरिए विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट पंचाट और बीमा कंपनी को भेजी जानी चाहिए।
मुआवजे का दावा करने वालों को भी मिले इजाजत
पीठ ने यह भी कहा कि मुआवजे का दावा करने वाले लोगों को भी ई-मेल के जरिए मुआवजा आवेदन और संबंधित दस्तावेज पंचाट व बीमा कंपनियों को भेजने की इजाजत दी जानी चाहिए।
इसके बाद पंचाट ई-मेल के जरिए बीमा कंपनियों को समन भेजेगा और बीमा कंपनी भी ई-मेल के जरिए इसका जवाब देगी। पंचाट द्वारा मुआवजे की रकम की घोषणा करने के बाद बीमा कंपनी को इसकी जानकारी ई-मेल के द्वारा दी जाए और बीमा कंपनी आदेश के मुताबिक पंचाट के बैंक खाते में रकम जमा कराए।
बैंक खाता मेंटेन करे पंचाट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंचाट को इस उद्देश्य के लिए बैंक खाता मेंटेन करने के लिए कहा है। बीमा कंपनियों को हर पंचाट के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त करने के लिए कहा गया है और नोडल अधिकारी का फोन नंबर और ई-मेल, राज्य के पुलिस महानिदेशक और पंचाट के साथ साझा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में और निर्देश पारित करने के लिए चार मई की तारीख मुकर्रर की है।
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