नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को गंगा नदी और अन्य नदियों (Rivers) में बढ़ती गंदगी और प्लास्टिक कचरे (Litter and Plastic Waste) पर नाराजगी जताई. शीर्ष अदालत ने नदियों को बचाने के लिए बड़ा हस्तक्षेप करते हुए गंभीर पर्यावरणीय समस्या पर चिंता जताई. साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों (Central and State Government) को इस समस्या से तत्काल निपटने के लिए निर्देश दिए.
सुप्रीम कोर्ट ने नदियों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने और उसे साफ करने के लिए ठोस कदम उठाने पर जोर दिया. कोर्ट ने संबंधित सरकारों से गंगा नदी और अन्य नदियों की सफाई के लिए आम लोगों को शामिल कर जागरूकता पहल के जरिए उचित कदम उठाने को कहा है.
शीर्ष अदालत ने इस दौरान कहा कि जब तक नदियों को प्लास्टिक से मुक्त नहीं किया जाता, सरकारों के सफाई के प्रयास भ्रामक हैं. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया. साथ ही केंद्र सरकार को 4 हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जज एसवीएन भट्टी की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान इस पर्यावरणीय समस्या का संज्ञान लिया. साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले पर विचार-विमर्श के दौरान यह बात सामने आई कि जिन क्षेत्रों को ऐसे प्रदूषणकारी उत्पादों से मुक्त रखा जाना है, वहां प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. इसके साथ ही पीठ ने टिप्पणी की कि जब तक जनता के सहयोग से जिम्मेदार अधिकारी ठोस प्रयास नहीं करेंगे, चाहे कितने भी प्रयास क्यों न किए जाएं, गंगा नदी और देश की अन्य सभी नदियों के जल निकायों की गुणवत्ता में सुधार अधूरा ही रहेगा.
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