नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी (Film Gangubai Kathiawadi) को रिलीज (Release) करने पर रोक लगाने (Seeking Stay) संबंधी याचिका (Plea) गुरूवार को खारिज कर दी (Dismisses) । याचिका गंगूबाई के दत्तक पुत्र ने दायर की थी।
न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायाधीश जे.के. माहेश्वरी ने मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ गंगूबाई के दत्तक पुत्र बाबूजी रावजी शाह की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा, “यह विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।” बेंच ने बुधवार को सवाल किया था “क्या शीर्षक बदलना संभव है? हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने पर जोर दिया था और प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि रिहाई से कुछ दिन पहले नाम परिवर्तन संभव नहीं होगा।”
फिल्म निर्माता के वकील ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान जोर देकर कहा कि फिल्म का प्रचार सात महीने से अधिक हो गया है,और यह पूरे सोशल मीडिया पर है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि फिल्म बिल्कुल भी अपमानजनक नहीं है, बल्कि यह गंगूबाई का महिमामंडन करती है,और उनके नाम पर एक प्रतिमा भी है।
गंगूबाई के दत्तक पुत्र ने वकील अरुण कुमार सिन्हा और राकेश सिंह के माध्यम से दायर अपील में दावा किया कि उपन्यास और फिल्म ने उनकी,उनकी मृत मां और परिवार के अन्य सदस्यों छवि खराब की है। वाद पत्र में दिए गए बयान इस सामग्री को संतुष्ट करते हैं,जो मानहानि को परिभाषित करता है।
याचिका में कहा गया है “चूंकि उच्च न्यायालय को पहली अपील को लंबित रखते हुए, वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए प्रतिवादियों को उपन्यास अर्थात, मुंबई की माफिया क्वींसया फिल्म अर्थात गंगूबाई काठियावाड़ी की प्रचार संबंधी छपाई, बिक्री,असाइनमेंट आदि से रोकने के लिए अस्थायी रोक लगा देनी चाहिए थी। ये सभी तथ्य प्रकृति में मानहानिकारक हैं”।
शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अभिनेत्री आलिया भट्ट, गंगूबाई काठियावाड़ी के निर्माता ,लेखक एस हुसैन जैदी और उपन्यास के लेखक जेन बोर्गेस के खिलाफ आपराधिक मानहानि शिकायत में मुंबई की एक अदालत द्वारा जारी समन पर रोक जारी रखी थी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved