नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को डीएएमईपीएल (DAMEPL) की अपील को खारिज कर (Dismissed the Appeal) दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के उस आदेश को बरकरार रखा (Kept the Order), जिसमें कहा गया था दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, डीएएमईपीएल को 30 मई तक 3,300 करोड़ रुपये का भुगतान करे। डीएएमईपीएल, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का एक अंग है।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने इस साल मार्च में पारित उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। डीएएमईपीएल ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अनिल अंबानी समूह की फर्म रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय ने उसे 4,600 करोड़ रुपये के मध्यस्थता अवार्ड रिकवर करने से रोक दिया था, जिसे पिछले साल सितंबर में शीर्ष अदालत ने बरकरार रखा था।
हाई कोर्ट ने डीएमआरसी को 11 मई, 2017 के मध्यस्थ निर्णय के तहत शेष राशि का भुगतान मई के अंत तक दो किस्तों में करने का निर्देश दिया था। डीएएमपीईएल ने तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय ने अवार्ड के बाद के ब्याज की गणना को गलत तरीके से खारिज कर दिया क्योंकि इसमें प्री-अवार्ड ब्याज शामिल है।
डीएएमईपीएल की याचिका में कहा गया है कि प्री-अवार्ड ब्याज को शामिल करने के बाद, मध्यस्थता अवार्ड की तिथि के अनुसार अधिनियम की धारा 31 (7) के तहत प्रदान की गई राशि 4,662.59 करोड़ रुपये है और पोस्ट अवार्ड ब्याज के साथ कुल राशि 8,053.21 करोड़ रुपये है। याचिका में आगे कहा गया है कि उक्त राशि में से, डीएमआरसी द्वारा अब तक केवल 2,278.42 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, इसलिए, ब्याज के साथ अभी तक संतुष्ट होने वाली शेष राशि 5,774.79 करोड़ रुपये है।
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