नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि वेश्यावृत्ति (sex work) एक पेशा है और सेक्स वर्कर्स कानून (sex workers law) के तहत सम्मान और सुरक्षा के हकदार हैं, साथ ही आदेश दिया है कि अगर कोई सेक्स वर्कर वयस्क है और अपनी मर्जी से काम कर रही है तो पुलिस उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम आदेश में सभी राज्यों और यूनियन टेरटरीज (States and Union Territories) को आदेश दिया है कि सेक्स वर्कर के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (union territories) में पुलिस बलों को सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, बी आर गवई और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि इस देश में सभी व्यक्तियों को जो संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हैं, उसे उन अधिकारियों द्वारा ध्यान में रखा जाए जो अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के तहत कर्तव्य निभाते हैं।
कोर्ट ने कहा कि जब यह स्पष्ट हो जाए कि यौनकर्मी वयस्क है और सहमति से काम कर रही है तो पुलिस को उसके काम में हस्तक्षेप करने या आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए। वेश्यावृत्ति के पेशे के बावजूद देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।
अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि शिकायत दर्ज कराने वाली सेक्स वर्कर के साथ भेदभाव नहीं करें, खासकर अगर उनके खिलाफ किया गया अपराध यौन प्रकृति का हो तब। यौन उत्पीड़न की शिकार यौनकर्मियों को तत्काल चिकित्सा, कानूनी देखभाल सहित हर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सेक्स वर्कर को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। वेश्यालय में छापेमारी के दौरान उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। अपनी इच्छा से सेक्स वर्क अवैध नहीं है, केवल वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।
कोर्ट ने कहा कि मीडिया को सेक्स वर्कर की पहचान सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए, अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है या उनके ठिकानों पर छापेमारी की जाती है या उन्हें बचाने का अभियान चलाया जाता है। ना तो उनका नाम पीड़िता और ना ही दोषी के तौर पर सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उनकी कोई फोटो या वीडियो भी नहीं सार्वजनिक करनी चाहिए, जिससे उनकी पहचान सार्वजनिक हो।
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