नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पत्र सूचना कार्यालय के तहत फैक्ट चेक यूनिट बनाने को लेकर केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की अवेहलना हो रही है। बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैक्ट चेक यूनिट को सरकार के बारे में फर्जी खबरों की पहचान करने और उसे रोकने के लिए बनाया था।
मुख्य न्यायाधीश सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में पेश संशोधनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं सुना देता।
बुधवार को जारी हुआ था नोटिफिकेशन
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को सोशल मीडिया सहित दुष्प्रचार अभियानों की सक्रिय निगरानी, पता लगाने और उनका मुकाबला करके फर्जी खबरों की चुनौती से निपटने के लिए पीआईबी एफसीयू को अधिसूचित किया था। सरकार ने कहा कि एफसीयू अपनी नीतियों, पहलों और योजनाओं पर गलत सूचना का मुकाबला या तो स्वत: संज्ञान से करेगा या व्हाट्सएप, ईमेल और एक्स सहित विभिन्न तरीकों से शिकायतों के माध्यम से करेगा।
बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस ए.एस. चांदुरकर – टाई ब्रेकर जज – ने 11 मार्च को पारित एक आदेश में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस बयान का लाभ देने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि फैसला आने तक एफसीयू को अधिसूचित नहीं किया जाएगा। इससे पहले 31 जनवरी को हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने संशोधित आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला सुनाया था जिसके बाद टाई ब्रेकर जज की नियुक्ति की गई थी।
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