नई दिल्ली । 1993 बॉम्बे ब्लास्ट (1993 Bombay blast) के दोषी गैंगस्टर अबू सलेम (abu salem) की उम्रकैद की सजा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने आज केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) के हलफनामे की भाषा पर आपत्ति जताई। अदालत ने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि आप हमें भाषण न दें। न्यायमूर्ति एसके कौल ने गृह मंत्रालय से कहा, “न्यायपालिका को भाषण मत दो। जब आप हमें कुछ तय करने के लिए कहते हैं तो हम इसे सहजता से नहीं लेते हैं।”
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अबू सलेम की उम्रकैद के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामे में भाषा पर आपत्ति जताई।
अदालत ने कहा कि जो मुद्दे आपको हल करने हैं, फैसला आपको करना है आप उस पर भी फैसला लेने की जिम्मेदारी हम पर ही डाल देते हैं। हमें ये कहते हुए खेद है कि गृह सचिव हमें ये ना बताएं कि हमें ही अपील पर फैसला लेना है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र को स्पष्ट होना चाहिए कि वे क्या कहना चाहते हैं? अदालत ने कहा, “हमें गृह मंत्रालय के हलफनामे में ‘हम उचित समय पर निर्णय लेंगे’ जैसे वाक्य पसंद नहीं हैं।”
गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा था कि सरकार के लिए यह उचित समय नहीं है कि वह फैसला करे और सुप्रीम कोर्ट फैसला करे। अबू सलेम की याचिका में कहा गया है कि पुर्तगाल की अदालतों को भारत की गारंटी के अनुसार उसकी जेल की सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती।
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