नई दिल्ली (New Dehli)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)में भाजपा ने सत्ता बरकरार (intact)रखने के साथ पांच साल पहले कांग्रेस (Congress)से मिली हार का बदला भी चुकता(squared) कर लिया है। हालांकि, इस जीत के मायने पिछली जीतों (wins)से अलग हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी, अमित शाह की रणनीति और शिवराज की लाडली बहना ने वह कर दिखाया, जो बेहद मुश्किल माना जा रहा था। बहनों का साथ और बड़े चेहरों की साख से भाजपा की सत्ता बरकरार रही। बिना घोषित चेहरे के और बड़े नेताओं के साथ चुनाव मैदान में जाना, सत्ता विरोधी माहौल की काट के लिए भाजपा का सबसे बड़ा दांव साबित हुआ।
भाजपा ने मध्य प्रदेश में अपना मुख्य चुनावी नारा ‘एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी’ दिया था। साथ ही मोदी ने राज्य की जनता को अपनी गारंटी भी दी। यानी चुनाव मोदीमय हो गया और जनता ने भी इस पर अपनी मुहर लगाकर भाजपा के माथे पर बड़ी जीत का सेहरा बांध दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यकर्ता भाव से अथक मेहनत और लाडली बहना योजना इस पूरी रणनीति का टर्निंग पॉइंट साबित हुई।
पांच साल पहले कांग्रेस ने सरकार बनाई, लेकिन चल नहीं सकी
पांच साल पहले कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ते हुए सरकार बनाई थी, लेकिन शिवराज ने हार नहीं मानी और कांग्रेस में हुई टूट का लाभ उठाते हुए सवा साल में फिर से भाजपा की सरकार बनी और केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज पर ही भरोसा जताया। बीच में राज्य में बदलाव का माहौल भी बनाया गया, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा शिवराज के साथ ही रहा। चुनाव में जब तय हुआ कि किसी भी राज्य में कोई चेहरा आगे नहीं किया जाएगा तो शिवराज को भी आगे नहीं रखा गया, लेकिन चुनावी कमान वही संभाले रहे थे और सबसे ज्यादा लगभग 155 सभाएं और रोड शो किए।
केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति के साथ शिवराज का जो सबसे बड़ा दांव रहा, वह लाडली बहना योजना का रहा। यह योजना इस साल 10 जून को लागू की गई, जिसके तहत महिलाओं को प्रतिमाह 1000 रुपये देने से शुरुआत हुई। लाडली बहना योजना के अंतर्गत प्रदेश के 2.72 करोड़ महिला मतदाताओं में से 1.31 करोड़ महिलाओं को वर्तमान में 1250 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं। चौहान ने सत्ता में वापस आने पर इस योजना के तहत राशि को धीरे-धीरे बढ़ाकर प्रतिमाह 3000 रुपये करने का वादा किया था। यह योजना भी कांग्रेस के सत्ता में आने के सपनों पर पानी फिरने की बड़ी वजह रही।
भाजपा ने चाक चौबंद रणनीति बनाई
भाजपा नेतृत्व ने भी राज्य के लिए चाक-चौबंद रणनीति बनाई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कमान संभाली और सभी नेताओं को एकजुट करके रणनीति पर अमल कराने के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव व अश्विनी वैष्णव की टीम को प्रदेश में तैनात किया। यह फैसला भी किया गया कि सभी बड़े नेता चुनाव मैदान में उतरें। इसके तहत सात सांसदों को चुनाव लड़ाया गया।
कमलनाथ जुड़ाव कायम नहीं कर सके
दूसरी तरफ, कांग्रेस कमलनाथ के भरोसे रही। मूल रूप से राज्य के बाहर के होने के कारण कमलनाथ पूरे प्रदेश के साथ जुड़ाव कायम नहीं कर सके। दिग्विजय सिंह को मुख्य चुनाव अभियान से दूर रखना कांग्रेस की मजबूरी थी। उसे सत्ता विरोधी माहौल से ही आस थी, लेकिन मोदी की गारंटी, शाह की रणनीति व शिवराज के काम ने सत्ता विरोधी माहौल पैदा होने ही नहीं दिया और जनता ने भी नतीजों के साथ साफ किया कि पिछली बार नाराजगी थी इस बार पूरा भरोसा है।
मध्य प्रदेश के लिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति के साथ शिवराज का सबसे बड़ा दांव था लाडली बहना योजना का। यह योजना भी कांग्रेस के सत्ता में आने के सपनों पर पानी फिरने की बड़ी वजह रही।
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