जम्मू। आतंकियों ने जिस शिक्षिका सुपिंदर कौर को मौत के घाट उतार दिया, उसका इंसानियत से बड़ा कोई धर्म ही नहीं था। शिक्षिका इतनी संवेदनशील थी कि एक बार एक मुस्लिम लड़की की पीड़ा सुनकर उसकी पूरी पढ़ाई का खर्च उठा लिया। यही नहीं, शिक्षिका मोहल्ले के लोगों का दुख दर्द भी बराबर बांटती थीं। हर किसी की आंखों में शिक्षिका की तस्वीर किसी भगवान से कम नहीं बसी हुई थी।
गुरुवार को श्रीनगर बॉयज हायर सेकेंडर स्कूल ईदगाह में आतंकियों ने प्रिंसिपल सुपिंदर कौर को धर्म पूछकर मौत के घाट उतार दिया। हजूरीबाग में सुपिंदर कौर रहती थीं। शौकत अहमद डार का परिवार भी पड़ोस में रहता था। शौकत का परिवार सुपिंदर कौर के मायके की तरह था। उन्होंने शौकत को भाई बना रखा था।
भाई शौकत और बहन सुपिंदर कौर का प्यार इस कदर था कि जब भी सुपिंदर स्कूल जाती थी तो शौकत के दरवाजे पर आवाज लगा देती थी। स्कूल से लौटते समय भी वह शौकत के दरवाजे के आगे आवाज लगाकर बता देती थी कि स्कूल से आ गई हूं। जब सुपिंदर की हत्या की जानकारी शौकत को हुई तो उनके आंसू नहीं रुक रहे थे। शौकत और सुपिंदर कौर के पति बचपन के दोस्त थे। दोनों एक साथ पढ़े और बढ़े हुए हैं।
सुपिंदर कौर अनाथ लड़की की बन गई थीं अभिभावक
शौकत अहमद डार ने कहा कि सुपिंदर से भले ही हमारा खून का रिश्ता नहीं रहा है, लेकिन वह मेरे परिवार की सदस्य थीं। उन्होंने बताया कि छानापोरा हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली एक अनाथ छात्रा का खर्च सुपिंदर उठाती थीं। छात्रा पहले मौसी के यहां रहकर पढ़ाई कर रही थी, लेकिन मौसी की शादी होने के बाद उसका कोई सहारा नहीं बचा, जब इसकी जानकारी सुपिंदर को लगी तो वह छात्रा की अभिभावक बन गईं।
‘तबादला होने के बाद भी देती रहीं पैसा’
रुंधे गले से शौकत ने कहा, ‘मुझसे सुपिंदर कौर ने कहा कि लड़की को तुम अपने यहां रख लो और 20 हजार रुपये प्रतिमाह हम तुम्हें उसके खर्च के लिए दूंगी।’ शौकत ने कहा कि उस समय सुपिंदर छानापोरा हायर सेकेंडरी स्कूल में पोस्टेड थीं। ईदगाह हायर सेकेंडरी स्कूल में तबादला होने के बाद भी सुपिंदर बराबर रुपये देती थीं। आतंकियों ने सुपिंदर नहीं उस लड़की और कश्मीरियत की हत्या कर दी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved