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    अंधविश्वास : दो साल पहले मृत बेटे की आत्मा को एमवाय में लेने आए परिजन

  • December 04, 2022

    तंत्र क्रिया और पूजा पाठ कर पत्थर को ले गए साथ
    बेटा सपनों में आकर कहता है उसकी आत्मा मच्र्चूरी में भटक रही, इसलिए उसे लेने आए
    इंदौर, वीरेंद्रसिंह सिसौदिया
    एमवाय अस्पताल (my hospital) का मुर्दाघर (mortuary)…जहां हर दिन किसी न किसी हादसे या बीमारी (disease) से जान गंवाने वाले लोगों के शव (dead body) लेने परिजन आते हैं और गमजदा होकर उनके शव ले जाते हैं, लेकिन कल जो परिजन आए थे वे शव लेने नहीं, बल्कि दो साल पहले एक हादसे में मृत अपने बेटे की आत्मा को लेने आए थे। इसके लिए बाकायदा उनके साथ पूजन सामग्री (worship material) भी थी और उन्होंने मुर्दाघर (mortuary) के बाहर पूजा-पाठ भी की। यह देख दूसरे लोग भी सहमकर रह गए। परिजनों का कहना था कि उनका बेटा दो साल पहले एक बीमारी के कारण मर गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे संदिग्ध मौत मानकर यहां पोस्टमार्टम (post mortem) कराया था। तब से ही उनके बेटे की आत्मा (soul) भटक रही है और कह रही है कि यहां से मेरी आत्मा को ले जाओ।


    अब इसे अंधविश्वास कहे या ढोंग? वाकया एमवाय अस्पताल (my hospital) की मच्र्यूरी (mortuary) में शनिवार दोपहर को देखने को मिला। रतलाम जिले के शिवगढ़ में रहने वाला एक परिवार आया, जिसमें महिलाएं, बच्ची और पुरुष शामिल थे। एक व्यक्ति के हाथ में तलवार थी, बच्ची के हाथ में पूजा की थाली, एक युवती के सिर पर पूजा की टोकरी, एक युवती के हाथ में पत्थर जिसे वे शिला बता रहे थे और उसमें आत्मा को उतारने की बात कह रहे थे। वे काफी मात्रा में पूजन का सामान भी लेकर आए थे। मच्र्यूरी के इस नजारे को देखकर हर कोई हतप्रभ था।


    संदिग्ध मौत के बाद कराया था पोस्टमार्टम
    परिजनों का कहना था कि हमारे परिवार के 18 वर्षीय मोहन पिता नानूराम पतली की दो साल पहले बीमारी के चलते एमवाय अस्पताल (my hospital) में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मौत को डॉक्टरों ने संदिग्ध मानते हुए शव का मच्र्यूरी में पोस्टमार्टम कराया। इसके बाद वे शव लेकर गांव चले गए। बीते कुछ दिनों से मोहन उसकी मां मीराबाई और भाभी राजूड़ी के सपने में आ रहा है और कह रहा है कि उसकी आत्मा एमवाय अस्पताल की मच्र्यूरी में ही भटक रही है। परिजनों ने जानकारों से पूछा तो उन्होंने पूजा-पाठ कर पत्थर में आत्मा साथ लाने की बात कही और कहा कि बाद में पत्थर को गांव में स्थापित कर देंगे। इसे अंध विश्वास कहे या विश्वास पूरे परिवार ने मच्र्यूरी के गेट पर पूजा-पाठ की और फिर उस पत्थर को साथ लेकर चले गए। एमवाय अस्पताल की मच्र्युरी में इस तरह का वाकया पहली बार हुआ। हालांकि इस परिवार को इनके अंधविश्वास के तहत पूजा पाठ करने से मच्र्यूरी के किसी भी कर्मचारी ने नहीं रोका और पूरी मच्र्यूरी में पूजा-पाठ करते हुए घूमते रहे।

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