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    पहाड़ों में छिपे दुश्मनों का काल बनेगी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, भारत ने किया सफल परीक्षण

  • October 04, 2020

    नई दिल्ली। भारत और रूस ने मिलकर सुपरसोनिक क्रूज मीडियम रेंज मिसाइल ब्रह्मोस को विकसित किया है। अग्नि के सिद्धांत पर काम करने वाली और 450 किलोमीटर की रेंज वाली इस मिसाइल में 200 किलो तक के पारंपरिक वारहेड ले जाने की क्षमता है। मिसाइल को 10 बजकर 27 मिनट पर आईटीआर के लॉन्च कॉम्पलेक्स-3 से दागा गया। नौ मीटर लंबी और 670 मिमी व्यास वाली मिसाइल का कुल वजन लगभग तीन टन है। यह एक जहाज से दागे जाने पर ध्वनि की गति से 14 किमी की ऊंचाई तक जा सकती है। यह एक ठोस प्रणोदक द्वारा चार्ज की जाती है और 20 किलोमीटर की दूरी पर अपना मार्ग बदल सकती है।

    भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया है। यह कंपनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया का साझा उद्यम है। मिसाइल के पहले विस्तारित संस्करण का सफल परक्षीण 11 मार्च 2017 को किया गया था। तब इसकी मारक क्षमता 450 किलोमीटर थी। 30 सितंबर 2019 को चांदीपुर स्थित आईटीआर से कम दूरी की मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल के जमीनी संस्करण का सफल परीक्षण किया गया था।

    ब्रह्मोस देश की सबसे आधुनिक और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल पहाड़ों की छाया में छुपे दुश्मनों के ठिकानों को निशाना बना सकती है। यह एक ऐसी मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीन से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसे तीनों सेनाओं में शामिल किया गया है।

    ब्रह्मोस एयरोस्पेस को भारत के रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओएम द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया है। इसका पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था। इसके लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और रूस के प्रथम डिप्टी डिफेंस मंत्री एनवी मिखाइलॉव ने एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

    ब्रह्मोस मिसाइल मध्यम रेंज की रेमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, युद्धपोतों, लड़ाकू विमानों और जमीन से दागा जा सकता है। क्रूज मिसाइल उसे कहते हैं जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और रडार की आंख से बच जाती है। सूत्रों ने बताया कि मिसाइल पहले से ही थलसेना, नौसेना और वायुसेना के पास है।

    ब्रह्मोस मिसाइल कितनी शक्तिशाली है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन की सेना यह कहती रहती है कि अरुणाचल प्रदेश में सीमा पर ब्रह्मोस की तैनाती के बाद से उनके तिब्बत और यूनान प्रांत पर खतरा मंडराने लगा है।

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