इंदौर। पटेल नगर (Patel Nagar) स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर परिसर में कल हुए दर्दनाक हादसे के बाद पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है। देर रात तक बावड़ी में गिरे कई लोगों के परिजन इस आस में बैठे रहे कि उनके परिवार का व्यक्ति सकुशल बाहर आ जाए। कल हुए हादसे में पेंटिंग कारोबारी सुनील सोलंकी का भी कोई पता नहीं चल पाया है। उनके मित्रों ने बताया कि दोपहर 2 बजकर 53 मिनट तक उनके वाट्सएप से मैसेज डिलेवर हुए थे। वह हादसे के दौरान बावड़ी में गिरे लोगों की जिंदगी बचाने में लगे हुए थे और दूसरों की जिंदगी बचाने में खुद की जान गवां बैठे। सोलंकी के पिता गुजराती कॉलेज (Gujrati Collage) के प्रोफेसर रहे हैं। सुनील के दोस्त सतीश गुप्ता बताते हैं कि मां-बाप की सेवा करना यदि कोई सीखे तो सुनील से। वो मंदिर से लम्बे समय से जुड़ा हुआ था और परिवार में माता-पिता की सेवा करने वाला एकमात्र वारिस था।
चौकीदार की पत्नी रातभर बैठी रही
पटेल नगर के पास निर्माणाधीन मंदिर में चौकीदारी करने वाले जीतू की पत्नी अपने दो मासूम बच्चों के साथ घटनास्थल के पास रोती बिलखती रही । सवा साल से जीतू चौकीदारी कर रहा था। रात तक उसकी लाश नहीं मिली थी।
प्रापर्टी ब्रोकर दयाल भी लापता, साथी ही बचे
बेलेश्वर महादेव झुलेलाल मंदिर हादसे में प्रापर्टी ब्रोकर दयाल परसवानी भी शिकार हुआ है। उसका भी कोई पता नहीं चल पाया है। उसके छोटे भाई घनश्याम ने बताया कि प्रापर्टी कारोबार का काम करता था और मंदिर से लम्बे समय से जुड़ा था। उसके साथी मुरली सबनानी और अन्य भी साथ जाने वाले थे, लेकिन कोई काम आ गया और वो नहीं जा पाए। दयाल मंदिर परिसर जाने के बाद फिर नहीं लौटा।
लम्बे समय से बाहर होता था हवन, इस बार मंदिर के अंदर हुआ
बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर से जुड़े मुरलीधर सोनी, गौरीशंकर जोशी, सुनील चौहान, मनोज राठौर बताते हैं कि पिछले 20 सालों से इस मंदिर से जुड़े हुए हैं। हर वर्ष यहां भंडारे के अलावा हवन बाहर ही होता था, लेकिन इस वर्ष मंदिर के कर्ताधर्ताओं ने मनमानी चलाते हुए मंदिर के अंदर हवन किया, जो दुर्घटना का कारण बन गया। बताया जा रहा है कि मनोज राठौर अपने परिवार के साथ हवन में शामिल होते थे, लेकिन कल उनके बेटे की सीहोर में सगाई थी, और वो वहां चले गए, लौटे तो हादसे की खबर मिली।
एक माह पहले बेटी की शादी कराई और कल हादसे में जान चली गई
पंचशील नगर में मोटर बाइडिंग का काम करने वाले मुरली समनानी का कहना है कि उनके साथी सुभाष यावर का भी कोई पता नहीं चल पाया है। वो मंदिर में पूजा करने गया था और हादसे का शिकार हो गया। बताया जा रहा है कि एक माह पूर्व ही बेटे सागर की शादी कराई थी। उनका कहना था कि सुभाष महाकाल का इतना बड़ा भक्त था कि चार साल से लगातार सुभाष एक्टिवा से महाकाल के दर्शन करने जाता था। यही नहीं लाकडाउन में भी उसने यह क्रम नहीं तोड़ा। मंदिर में रामनवमी को होने वाले भंडारे के बाद वह प्रसाद घर-घर जाकर बांटता था।
पुलिस वालों से भी लोग भिड़ते रहे
बचाव कार्य के दौरान पुलिस को वहां जमा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ी। भीड़ इतनी थी कि पुलिस को कई बार उन्हें धकेलना पड़ा। कुछ लोग तो गुस्से में थे कि उन्होंने पुलिसवालों से भी पंगा ले लिया। बाद में अधिकारियों ने उन्हें शांत कर वहां से रवाना किया। कुछ लोगों का तो यह भी कहना था कि मंदिर परिसर नशेडिय़ा का अड्डा बन गया है। यहां दिन-रात लोग भांग पीसते रहते हैं। कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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