प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में एक लेडी अधिकारी का नाम चर्चा में है। असल में लेडी अधिकारी के नाम की चर्चा किसी नवाचार या किसी उत्कृष्ट कार्य को लेकर नहीं हो रही है, बल्कि उन पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर हो रही है। हाल ही में राजधानी से रुखसत होकर मालवा के बड़े जिले में पहुंची लेडी अफसर के खिलाफ शिकायतों के पुलिंदा भ्रष्टाचाररोधी एजेंसी और सत्ता के ताकतवर दरवाजों तक पहुंच रहे हैं। शिकायतों में महिला अधिकारी को “क्वीन ऑफ करप्शन” की संज्ञा तक दे डाली है। शिकायत में तो यहां तक आरोप है कि “क्वीन ऑफ करप्शन” के सिर पर सत्ता में बैठे ताकतवर नौकरशाह का भी हाथ है। नौकरशाही को इसका बेसब्री से इंतजार है कि “भ्रष्टाचार की रानी” पर सरकार की टेढ़ी नजर होती है या नहीं।
मेंटाना कम्पनी के बुरे दिन शुरु
मप्र के जल संसाधन विभाग की सबसे बड़ी ठेकेदार कंपनी मेंटाना ग्रुप के बुरे दिन शुरु हो गये हैं। जल संसाधन विभाग में लंबे समय तक पदस्थ रहे एक भ्रष्ट आईएएस अफसर के कारण यह कंपनी सरकार की आंखों का तारा बन गई थी। रिटायरमेंट के बाद जब इस आईएएस के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरु हुई तो यह कंपनी अब सरकार की आंख की किरकिरी बन गई है। इस कंपनी को मप्र से बाहर करने की तैयारी है। राज्य सरकार ने रीवा में 239 करोड़ के काम को 6 वर्ष विलंब के बाद भी पूरा न करने पर मेंटाना की सहयोगी कंपनी एचईएस प्रालि को तीन वर्ष के लिए ब्लेक लिस्टेड करते हुए उसकी सभी सहयोगी कंपनियों व फर्मों को भी नई निविदा के लिए अयोग्य करार कर दिया है। मजेदार बात यह है कि सरकार ने इस कंपनी की कार्यशैली को “राष्ट्रद्रोह” की श्रेणी में माना है।
48 करोड़ का दान गया पानी में
भोपाल के महावीर मेडीकल काॅलेज को इस वर्ष के लिए मान्यता नहीं मिल पाई है। काॅलेज की प्रबंध समिति के आपसी विवादों के कारण यहां खींचतान मची हुई है और काॅलेज बंद होने के कगार पर है। इसका सबसे बुरा असर आरएमडी गुटका के मालिक रसिकलाल माणिकचन्द धारीवाल परिवार को हो रहा है जिन्होंने इस काॅलेज को अभी तक 48 करोड़ दान दिया है। इस परिवार ने 51 करोड़ दान देने की घोषणा की थी बदले में इस परिवार के तीन सदस्यों को समिति में शामिल करना था तथा काॅलेज का नाम रसिकलाल माणिकचन्द धारीवाल मेडिकल काॅलेज रखना था। यह परिवार अभी तक 48 करोड़ दान दे चुका है। लेकिन इसी बीच काॅलेज प्रबंधन के झगड़े सड़क पर आ गये हैं। बताते हैं यह देखकर आरएमडी परिवार ठगा सा महसूस कर रहा है।
नये जिले को लेकर मंत्री विधायक में जंग
सागर जिले से नया जिला बनाने को लेकर मंत्री भूपेन्द्र सिंह और विधायक महेश राय में राजनीतिक जंग छिड़ गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ है। दरअसल एक बड़े अखबार में खबर छपी कि सागर की खुरई तहसील को नया जिला बनाया जा रहा है। खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह का बयान भी आया कि वे इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। इस खबर ने बीना में हलचल मचा दी। बीना को जिला बनाने की मांग 40 वर्ष से चल रही है। बीना में आन्दोलन शुरु हो गये। बीना के भाजपा विधायक महेश राय खुलकर सामने आ गये। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री से चर्चा की। बताते हैं कि सीएम से साफ कहा कि खुरई को जिला बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सागर से जब भी नया जिला बनाया जाएगा तो बीना ही बनेगा। इसके बाद मंत्री और विधायक की जंग थम गई है।
हितेष वाजपेयी के ट्वीट से हलचल
मप्र भाजपा के पूर्व मीडिया प्रभारी व नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हितेष वाजपेयी के एक ट्वीट से पार्टी में हलचल मच गई है। वाजपेयी ने इशारों इशारों में स्वयं को भोपाल की मध्य विधानसभा और मौजूदा मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर को ग्वालियर जिले की भितरवार विधानसभा सीट से दावेदार बता दिया है। वाजपेयी ने लोकेन्द्र के साथ अपना फोटो ट्वीट करते हुए लिखा है कि “मध्य में रहकर हमें भीतरवार करना है…कांग्रेस को 2023 में तबाह करना है।” लोकेन्द्र पाराशर पिछले चुनाव से ही भितरवार से टिकट के दावेदार रहे हैं। इस ट्वीट के जरिए डॉ. वाजपेयी ने स्वयं को भोपाल की मध्य सीट से दावेदार घोषित कर दिया है।
तीनों दागी अफसरों को मिली मनमाफिक पोस्टिंग
मप्र के आबकारी विभाग के तीनों दागदार अफसरों को आखिर मनमाफिक पोस्टिंग मिल गई है। हमने पिछले सप्ताह इसी काॅलम में लिखा था कि आबकारी विभाग के तीन दागी अफसरों विनय रंगशाही, संजय तिवारी और विक्रमदीप सागर को मनमाफिक पदस्थापना देने की तैयारी चल रही है। रंगशाही पर कोर्ट कर्मचारी को घूस देने के प्रयास का आरोप है। तिवारी पर धार डिस्टलरी से बिना परमिट शराब निकलवाने और विक्रमदीप पर झाबुआ में शराब के अवैध ट्रक छोड़ने के आरोप हैं। रंगशाही ने विदिशा, तिवारी ने उज्जैन और विक्रमदीप ने धार में पोस्टिंग करवाने की जुगाड लगाई है। इस सप्ताह राज्य सरकार ने तीनों अफसरों को मनमाफिक पोस्टिंग दे दी है। यानि यह माना जाए कि भ्रष्टाचार के मामले में राज्य सरकार का जीरो टॉलरेंस का नियम आबकारी महकमे पर लागू नहीं होता।
और अंत में…!
मप्र के युवा आईएएस शोभित जैन का आखिर दोष क्या है? कमलनाथ सरकार ने उन्हें लूप लाईन में भेजा था। शिवराज सरकार ने तीन वर्ष लूप लाईन रखने के बाद उन्हें “डीप लूप लाईन” में भेज दिया है। 2000 बैच के आईएएस शोभित जैन की छवि बेदाग है। वे जहां भी पदस्थ रहे उन्होंने अपनी कार्यशैली से विशिष्ट पहचान बनाई है। कमलनाथ सरकार में उन्हें शहडोल संभागायुक्त बनाया गया था। वहां एक राजनीतिक घटनाक्रम के कारण नाराज होकर कमलनाथ ने 17 जून 2019 को उन्हें सजा के तौर पर मप्र मानवाधिकार आयोग में सचिव बनाया। तीन वर्ष से अधिक समय तक उन्होंने यहां काम किया। पिछले फेरबदल में शिवराज सरकार ने उन्हें इससे भी अधिक लूप लाईन के पद सचिव खाद्य सुरक्षा बना दिया गया है। आखिर शोभित से इतनी नाराजगी क्यों?