अब आईएएस नहीं उठा रहे फोन!
कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) में पावरफुल रहे एक आईएएस अधिकारी (IAS Officer) अपने एक खास ठेकेदार का आजकल फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं। दरअसल, कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के समय इस आईएएस (IAS) ने ठेकेदार को करोड़ों के काम दिए इस काम के भुगतान (Payment) के एवज में लगभग 1 करोड़ की एडवांस (Advance) रिश्वत भी ले ली। ठेकेदार को भुगतान (Payment) अभी तक नहीं हुआ है। अब ठेकेदार अधिकारी से रिश्वत की रकम वापस मांगने फोन (Phone) लगा रहा है तो अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं। ठेकेदार के पास इस अधिकारी के ग्वालियर (Gwalior) और इंदौर (Indore) में उन दलालों के भी फोन नंबर हैं जिनके जरिए यह रिश्वत ली गई है। यह मामला अब मौजूदा मुख्यमंत्री (Chief Minister) के संज्ञान में आ गया है। मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने फिलहाल इस अधिकारी से दूरी बना ली है। ठेकेदार ने अधिकारी के दोनों दलालों को फोन लगाकर रिश्वत की राशि वापिस मांगना शुरू कर दिया है।
फरार आरोपी का सरकारी बंगला (Government Bungalow)
इंदौर (Indore) में जमीनों के घोटाले में फरार एक भू-माफिया को राज्य सरकार (State Government) ने भोपाल (Bhopal) के पाश इलाके में डी टाईप का सरकारी बंगला दे रखा है। इंदौर जिला प्रशासन ने इस भू-माफिया की गिरफ्तारी पर ईनाम घोषित किया है। इसी बीच खबर है कि इंदौर (Indore) जिला प्रशासन ने मंत्रालय को भेजी एक गोपनीय रिपोर्ट में कहा है कि इस बड़े भू-माफिया को भोपाल (BHopal) में पत्रकार कोटे से दिए गए बंगले का आवंटन भी रद्द किया जाए। देखना है कि राज्य सरकार इंदौर प्रशासन की रिपोर्ट (Report) पर क्या कार्रवाई करती है।
नेमावर पहुंचे चंपतराय
इस सप्ताह भगवान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय अचानक देवास जिले के नेमावर पहुंचे तो कई लोगों के कान खड़े हो गए। ऐसे समय में जबकि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है, चंपतराय अचानक नेमावर क्यों पहुंचे? दरअसल अयोध्या में भगवान राम का मंदिर लाल पत्थरों से बनाया जाना है। मंदिर के वास्तुकार ने बताया कि देश में ऐसे 22 मंदिर जैन संत आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के निर्देशन में बन रहे हैं। चंपतराय जी मंदिर निर्माण के संबंध में सलाह लेने इस सप्ताह नेमावर में आचार्य श्री विद्यासागरजी के पास पहुंचे। एक घंटे से अधिक की मुलाकात में चंपतराय इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा कि आज वास्तव में नर के रूप में नारायण के दर्शन किए हैं। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आचार्यश्री से अनेक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की है।
कंगाल कांग्रेस
मप्र कांग्रेस इस समय कांगाली के दौर से गुजर रही है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का खर्चा जवाहर भवन की दुकानों के किराये से आता था। लेकिन कोरोना के कारण लंबे समय से किराया नहीं मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस को वेतन भत्ते, बिजली आदि के लिए हर महीने लगभग 10 लाख की जरूरत होती है। सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस की माली हालत बिगड़ती जा रही है। खबर है कि कमलनाथ अपने व्यक्तिगत संसाधन से लगभग 10 लाख रुपए हर महीने कांग्रेस कार्यालय के संचालन दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि कमलनाथ को हटाकर नया प्रदेश अध्यक्ष लाते हैं तो उसे सबसे पहले पार्टी चलाने के लिए 10 लाख रुपए महीने की व्यवस्था करनी होगी।
मंत्री-पूर्व मंत्री में खटास
दमोह उपचुनाव के बीच से खबर आ रही है कि मंत्री भूपेन्द्र सिंह और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बीच जबर्दस्त खटास हो गई है। बताते हैं कि जयंत मलैया ने भोपाल में पार्टी नेताओं से साफ कर दिया है कि यदि उपचुनाव में उनका उपयोग करना है तो वे चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र सिंह के अधीन काम नहीं करेंगे। यही कारण है कि भाजपा संगठन ने गोपाल भार्गव को चुनाव प्रभारी बना दिया है। पिछले चुनाव में जिस राहुल लोधी से जयंत मलैया चुनाव हारे थे उन राहुल लोधी को भूपेन्द्र सिंह भाजपा में लेकर आए हैं। इससे जयंत मलैया का राजनीतिक जीवन प्रभावित हुआ है। मलैया का मानना है कि जानबूझकर उनकी राजनीतिक हत्या करने के लिए राहुल को भाजपा ज्वाइन कराई गई है।
महाराज की नजर कुर्सी पर
क्या वाकई ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजर मप्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है? दरअसल सिंधिया आजकल भाजपा के 50-60 विधायकों के नाम और मोबाइल नंबर की सूची अपनी जेब में रखते हैं और समय मिलते ही इन विधायकों से लगभग प्रतिदिन या एक-दो दिन छोड़कर चर्चा करते हैं। वे इन विधायकों से इतने ज्यादा प्रेम से बात करते हैं कि विधायकों को भी भरोसा नहीं होता कि ग्वालियर महाराज उन्हें इतना महत्व क्यों दे रहे हैं। कुछ भाजपा विधायकों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को सूचना भी दे दी है। अधिकांश विधायको का मानना है कि महाराज की बातचीत से लगता है कि उनकी नजर मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है।
… और अंत में
मप्र भाजपा के तीन सांसद ऐसे हैं जिन्हें लोकसभा में सवाल पूछने की फुर्सत ही नहीं है। एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि मप्र के तीन भाजपा सांसदों बैतूल से दुर्गादास उईके, शहडोल से हिमाद्री सिंह और सागर से राज बहादुर सिंह ऐसे सांसद है जिन्होंने 1 जून 2019 से 13 फरवरी 2021 तक लोकसभा में एक भी सवाल नहीं लगाया। जबकि मंदसौर के भाजपा सांसद सुधीर अग्रवाल इस मामले में सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने इस दौरान 261 सवाल पूछकर अपनी सक्रियता दिखा दी है।
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